
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बंगाल हिंसा को लेकर देश की सियासत गरमाई हुई है। देश के साथ ही इस मुद्दे पर भारत के पड़ोसी देश भी टिप्पणी कर रहे हैं। इसी क्रम में बांग्लादेश के ओर से भी बंगाल हिंसा पर बयान आया। वहां की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी ने कहा कि भारत को हिंसा में प्रभावित मुस्लिमों की रक्षा करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने हिंसा में बांग्लादेश का कोई हाथ होने से भी इनकार किया था। उनके इस बयान पर अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने तीखा पलटवार किया है।
भारत ने बांग्लादेश के बयान की कड़ी आलोचना की और हिदायत देते हुए कहा कि वह भारत के मसलों में दखल देने की बजाय अपने यहां अल्पसंख्यकों की रक्षा पर ध्यान दे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश का यह बयान धूर्तता और कपट से भरा है। वह अपने यहां अल्पसंख्यकों के नरसंहार से ध्यान भटकाना चाहता है। जायसवाल ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में हुई घटनाओं को लेकर बांग्लादेश की ओर से की गई टिप्पणियों को हम खारिज करते हैं। बांग्लादेश इस तरह के बयान दे रहा है, जबकि वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वाले अपराधी आजाद घूम रहे हैं।’
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों का बुरा हाल
पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में हुए शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से अल्पसंख्यकों पर हमले पहले से ज्यादा बढ़ गए हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले महीने संसद में बताया था कि 2024 में बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल शुरू होने के बाद अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न की 2400 घटनाएं हुई। इस साल अब तक ऐसी 72 घटनाएं हो चुकी हैं।
बता दें कि 8 अप्रैल को भारत में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वक्फ संशोधन कानून लागू हुआ था। इसके विरोध में देश के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। ऐसा ही प्रदर्शन पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भी हुआ था, इस दौरान हिंसा भड़क गई थी।