
Gadchiroli News घने जंगल में बसे गड़चिरोली जिले में पिछले कुछ दिनों से मानव-वन्यजीव संघर्ष बड़े पैमाने पर बढ़ गया है। इस संघर्ष के कारण मासूम लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। ओड़िसा राज्य से पिछले तीन वर्षों से जंगली हाथियों का झुंड जिले में उधम मचा रहा है, वहीं बाघों की संख्या भी बढ़ जाने से लोगों को असुरक्षितता महसूस हाे रही है। इस संघर्ष पर लगाम कसने और वन्यजीवों के हमले में मृत व्यक्तियों के परिजनों को युद्धस्तर पर वित्तीय मदद दिलाने की मांग को लेकर बुधवार 22 जनवरी को कांग्रेस नेताओं ने वनविभाग के मुख्य वनसंरक्षक कार्यालय पर दस्तक दी।
सीसीएफ को सौंपे गए ज्ञापन में कांग्रेसियों ने बताया कि, राज्य के एकमात्र गड़चिरोली जिले में सर्वाधिक वन उपलब्ध है। वनविभाग के तहत आने वाले इस जंगल में विभिन्न प्रकार के वन्यजीव मौजूद होकर तीन वर्षों से जंगली हाथियों का एक झुंड यहां विचरण कर रहा है। हाथियों के हमले में अब तक 6 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। वहीं अाए दिन बाघ, तेंदुआ, जंगली सुअर के हमले की घटनाएं उजागर हो रहीं हैं। इस तरह की घटनाओं के कारण नागरिकों में भयपूर्ण माहौल ह जिसका असर अब खेती के कार्य पर भी होने लगा है।
इस कारण वन्यजीवों के हमलों को रोकने प्रभावी रूप से कार्य करने, वन्यजीवों के हमले मृत व्यक्तियों के परिजनों व घायलों को तत्काल वित्तीय सहायता देने, अनेक दिनों से प्रलंबित सड़क और अन्य विकास कार्यों के लिए वनविभाग द्वारा युद्धस्तर पर अनुमति देने, आवश्यक स्थानों पर लकड़ा बिट और बांस उपलब्ध करना आदि विभिन्न मांगों को लेकर कांग्रेसियों ने सीसीएफ के साथ चर्चा की। इस समय सांसद डा. नामदेव किरसान, आरमोरी के विधायक रामदास मसराम, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष महेंद्र ब्राह्मणवाडे, जिप के पूर्व उपाध्यक्ष मनोहर पोरेटी, युकां के प्रदेश सचिव एड. विश्वजीत कोवासे, शहर अध्यक्ष सतीश विधाते, सुनील चडगुलवार, आरमोरी तहसील अध्यक्ष मिलिंद खोब्रागडे, धानोरा तहसील अध्यक्ष प्रशांत कोराम, अनुसूचित जाति सेल के जिलाध्यक्ष रजनीकांत मोटघरे, रूपेश टिकले, जावेद शेख, गौरव येनप्रेड्डीवार, विपूल येलट्टीवार समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।