प्रशासन की अनदेखी से खंडहर में तब्दील हुआ ब्रिटिशकालीन कुआं

Gadchiroli News स्थानीय तहसील कार्यालय समीपस्थ और कोषागार व सरकारी गोदाम के पीछे ब्रिटिश काल में शास्त्रोक्त पद्धति से स्वास्थ्यवर्धक पीने के पानी के लिए जलस्त्रोत तैयार किया गया था। लेकिन वर्तमान स्थिति में स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के कारण ब्रिटिश काल में तैयार किया गया यह स्वास्थ्यवर्धक जलस्त्रोत उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। स्वाधीनता के पहले सिरोंचा तहसील ब्रिटिशों का मुख्यालय था। उस समय ब्रिटिश सैनिकों का यह कैम्प था। ब्रिटिश यहां पर घोड़ों को रखते थे। पीने के पानी की सुविधा हो, इसलिये उस समय कुएं का निर्माण किया गया। अंग्रेजों ने कुएं में तांबा के पत्रे डाले थे। इन पत्रों का स्पर्श होने पर पानी शुद्ध होता था। विशेषत: इस कुएं का पानी पीने से किसी भी तरह की बीमारी नहीं होती थी। किंतु वर्तमान स्थिति में इस ओर अनदेखी हो रही है।

अब झुड़पी जंगल हुआ तैयार : वर्तमान स्थिति में अंग्रेजों द्वारा तैयार किए गए इस कुएं परिसर में झुड़पी जंगल निर्माण हो गया है। वहीं दूसरी ओर घर-घर में नल उपलब्ध होने के कारण अब कोई कुएं की ओर ध्यान भी नहीं देता है। जिन लोगों को इस कुएं की जानकारी थीं। वह लोग कुएं का पानी पीते थे लेकिन अब यह कुआं उपेक्षा का शिकार बना हुआ है।

तत्कालीन तहसीलदार ने करवायी थी मरम्मत : कुएं का इतिहास जाने के बाद सिरोंचा में कार्यरत तत्कालीन तहसीलदार श्रीकांत पाटिल ने उक्त कुएं की मरम्मत करवाई थी। विशेषत: कुएं में लगाए गए तांबा के पत्रे को देखने के लिये उन्होंने पुणे से कुछ जानकार लोगों को बुलाकर कैमेरे की सहायता से निरीक्षण भी किया था। उसी समय कुएं की मरम्मत की गई थी। लेकिन स्थानीय प्रशासन द्वारा इस कुएं की ओर अनदेखी की जा रही है। जिससे अंग्रेज कालीन कुआं भी इतिहास के पन्नों में गुम होते दिखाई दे रहा है।