
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदर्भ क्रिकेट टीम ने तीसरी बार रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम कर लिया है। विदर्भ क्रिकेट स्टेडियम पर खेले जा रहे टूर्नामेंट के फाइनल मैच का नतीजा ड्रॉ रहा था। मुकाबले में विदर्भ ने पहले बल्लेबाजी करते हुए अपनी पहली पारी में 379 रन बनाए थे। वहीं, केरल ने पहली पारी के दौरान अपने सभी बल्लेबाजों के विकेट खोकर 342 रन बना सकी थी। जबकि मुकाबले के अंतिम दिन तक बल्लेबाजी कर रही विदर्भ टीम ने स्टंप्स तक 9 विकेटों के नुकसान पर 375 रन जोड़ लिए थे।
विदर्भ की टीम ने तीसरी बार रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया है। इसके पहले वह 2 बार इस टूर्नामेंट में चैपिंयन रह चुकी है। जानकारी के लिए बता दें, पहली बार उन्होंने साल 2017-18 मेंं खेले गए सीजन का खिताब अपने नाम किया था। वहीं, साल 2018-19 में वह दूसरी बार टूर्नामेंट की चैंपियन रही थी। जबकि, पिछले सीजन में विदर्भ की टीम रनर अप रही थी। टूर्नामेंट के खिताबी जंग में उन्हें मुंबई के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
लेकिन सभी के मन में एक सवाल खड़ा हो रहा होगा कि आखिर मैच ड्रॉ होने के बावजूद विदर्भ चैंपियन कैसे बनी? दरअसल, अगर फाइनल मुकाबले का नतीज ड्रॉ रहता है तो, ऐसी स्थिती में जीतने वाली टीम का फैसला पहली पारी के आधार पर किया जाता है। मैच के पहली पारी के दौरान जिस भी टीम ने ज्यादा रन बनाए हो वह मुकाबले की विजेता होती है। टूर्नामेंट के खिताबी जंग में विदर्भ ने पहली पारी में 379 रनों का स्कोर खड़ा किया था। वहीं, केरल सिर्फ 342 रनों पर सिमट गई थी। इस दौरान केरल विदर्भ से 37 रन पीछे रह गई थी जिसकी वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
दोनों टीमों के बीच खेले गए इस मैच में विदर्भ के बल्लेबाज दानिश मालेवार ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया था। उन्होंने पहली पारी में 153 रन तो दूसरी पारी में टीम के लिए 73 रन बनाए थे। जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब दिया गया। वहीं, विदर्भ के गेंदबाज हर्ष दुबे को उनके कमाल के गेंदबाजी कौशल के लिए प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया। उन्होंने पूरे सीरीज में 476 रन लुटाकर कुल 69 विकेट झटके थे। बता दें, टूर्नामेंट के एक सीजन में किसी गेंदबाज के लिए विकेटों में ये सबसे ज्यादा है।