
Jabalpur News । धान परिवहन घोटाले में कुल 30 करोड़ 14 लाख रुपयों के हेरफेर की बात सामने आई थी। इसमें 7200 मीट्रिक टन धान को फर्जी तरीके से ऑनलाइन पोर्टल पर चढ़ाने का आकलन िकया गया था। इसकी कीमत 16 करोड़ 54 लाख लगाई गई थी। वहीं इससे पहले 28 फरवरी को 22 लोगों पर 5 करोड़ 21 लाख रुपयों की धान की फर्जी एंट्री के मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस प्रकार 21 करोड़ 75 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा तो केवल फर्जी एंट्री के जरिए ही हो गया था लेकिन चौंकाने वाली बात है िक खरीदी की पहली कड़ी सर्वेयर पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। फर्जी एंट्री के साथ ही कम धान, घटिया धान, गीली धान, मिलावटी धान और सड़ी हुई धान भी यदि गोदामों में जमा होती है तो उसमें सर्वेयर और कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। धान परिवहन घोटाले में जिस प्रकार 74 लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई, उसी प्रकार सर्वेयरों और कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों पर भी गाज गिरनी चाहिए।
20 मार्च को पूरे प्रदेश में सनसनी मचाते हुए धान परिवहन घोटाले के 74 आरोपियों पर एक साथ 12 थानों में 12 एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमें बताया गया था िक 16 करोड़ 54 लाख रुपयों की धान की फर्जी एंट्री की गई थी। इस मामले में मप्र स्टेट सिविल सप्लाई काॅर्पोरेशन के जिला प्रबंधक सहित राइस मिलर्स और सोसायटी के प्रबंधकों तक के खिलाफ एफआईअार दर्ज कराई गई थी लेकिन फर्जी एंट्री करने वाले एक भी सर्वेयर पर कार्रवाई नहीं की गई जबकि 28 फरवरी को 5 करोड़ 21 लाख के घोटाले के मामले में 5 सर्वेयरों पर भी एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
सबसे जिम्मेदारी का काम
बताया जाता है कि चाहे धान हो या गेहूं की खरीदी सबसे बड़ी जिम्मेदारी सर्वेयरों को ही सौंपी जाती है। जैसे ही किसान उपार्जन केन्द्र पहंुचता है सबसे पहले उसकी फसल की जांच सर्वेयर के द्वारा ही की जाती है और वही बताता है िक फसल कैसी है। इस दौरान कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी भी मौजूद होता है। इसके बाद सर्वेयर ही दर्ज करता है िक िकसान कितना अनाज लाया है, यदि फर्जी एंट्री की गई तो सर्वेयर ही यह काम कर सकता है।
निजी हाथों में सर्वेयर का जिम्मा
सर्वेयर तैनात करने के िलए भोपाल स्तर से ठेका होता है जिसमें छात्रांे तक को सर्वेयर बनाया जाता है। ऐसे में बहुत से सर्वेयर तो अनाड़ी होते हैं उन्हें पता तक नहीं होता है िक करना क्या है। उपार्जन केन्द्र में बैठे समिति प्रबंधक या अन्य लोग जैसा बोलते हैं वैसा सर्वेयर करता रहता है। ऐेसे में पूरी उपार्जन की प्रक्रिया ही संदेह के दायरे में आ जाती है।