कब है षठतिला एकादशी? जानिए पूज का शुभ मुहूर्त और विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत का अत्यधिक महत्व है। वैसे तो वर्ष की सभी एकादशियां व्रत, दान-पुण्य आदि के लिये बहुत शुभ होती हैं। इनमें माघ माह में पड़ने वाली षटतिला एकादशी को विशेष माना गया है, जो कि 24 जनवरी को पड़ रही है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

इस दिन पूजा के समय काले तिल के प्रयोग का विशेष महत्व होता है। वहीं इस दिन काली गाय की पूजा करना भी शुभ माना गया है। इस एकादशी पर कैसे पूजा की जानी चाहिए और क्या है इसका मुहूर्त आइए, जानते हैं…

षटतिला एकादशी व्रत मुहूर्त

तिथि आरंभ: 24 जनवरी 2025, शुक्रवार की शाम 7 बजकर 25 मिनट से

तिथि समापन: 25 जनवरी 2025, शनिवार की रात 8 बजकर 31 मिनट तक

पारण का समय: 26 जनवरी 2025, रविवार की सुबह 7 बजकर 12 मिनट से लेकर 9 बजकर 21 मिनट तक।

पूजा की विधि

– सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में नित्यक्रिया आदि से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य को अर्ध्य दें और भगवान विष्णु का नाम लेकर व्रत प्रारंभ करें।

– एकादशी की रातभर भगवान का भजन-कीर्तन करना उर्पयुक्त बताया गया है।

– ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप अति फलदायी एवं उत्तम बताया गया है, इसका लाभ मनुष्य को जीवनकाल में अवश्य ही प्राप्त होता है।

– इस दिन ब्रम्हण पूजा का भी महत्व है। अतः ब्राम्हण की पूजा कर उसे घड़ा, छाता, तिल से भरा बर्तन, जूते, वस्त्र इत्यादि का दान आप अपने सामथ्र्य के अनुसार दे सकते हैं।

– तिल को भोजन व पानी में मिलाकर ग्रहण करें। गरीबों को भोेजन कराएं और तिल का दान करें।

इस दान से आपके व आपके पूर्वजों को सभी दोषों व पापों का नाश होता है एवं आपको ईश्वर के चरणों में उत्तम स्थान प्राप्त होता है।

– इस एकादशी विधि और नियम का जितना अधिक ध्यान रखा जाएगा अर्थात् नियमानुसार कठोरता से उनका पालन किया जाएगा उतना ही अधिक लाभकारी हाेगा।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।