आरएसएस के पूर्व प्रचारक को झटका, खंडपीठ ने ठुकराया बम विस्फोट मामले में गवाह को क्षमा का अनुरोध

Chhatrapati Sambhaji Nagar News. वर्ष 2006 में नांदेड़ शहर में बम विस्फोट मामले में गवाह को क्षमा करने का अनुरोध करने वाले आरएसएस के पूर्व प्रचारक यशवंत शिंदे (निवासी मुंबई) का आवेदन बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ के न्यायमूर्ति वाई.जी. खोब्रागडे ने ठुकरा दिया। इस अपराध की जांच करते समय अपराध दर्ज हुआ था, तब से (6 अप्रैल 2006) आवेदन दाखिल करने तक (29 अगस्त 2022) लगभग 16 साल तक याचिककर्ता ने जांच अधिकारी के पास जवाब दर्ज नहीं किया। इसलिए आवेदनकर्ता को फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 311 के अनुसार आवेदन दाखिल करने का अधिकार (लोकस) नहीं है। इस मुकादमे की सुनवाई पूर्ण होकर आरोपियों को बरी कर दिया गया है। ऐसा कहकर खंडपीठ ने उपरोक्तानुसार आदेश दिया।

यह है मामला

वर्ष 2006 में नांदेड़ के एक मकान में बम विस्फोट से दो व्यक्तियों की मौत हुई थी। इस बारे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद पर आरोप था। नांदेड़ के विशेष सत्र न्यायालय ने 4 जनवरी 2025 को इस अपराध के 10 आरोपियों को बम विस्फोट के कट से बरी किया था।

यशवंत शिंदे ने किया था यह दावा

याचिकाकर्ता यशवंत शिंदे ने विशेष सत्र न्यायालय में आवेदन दाखिल कर नांदेड़ के बम विस्फोट की साजिश मामले में आरोपियों के साथ बम बनाने का प्रशिक्षण लेकर इस घटना में खुद भी शामिल होने का दावा किया था। मिलिंद परांडे, राकेश धवडे और रविदेव ने आरोपियों को बम बनाने का प्रशिक्षण दिया था। नांदेड के बम विस्फोट में वह शामिल हुए थे, लेकिन सही ढंग से जांच नहीं होने से उन तीनों को अपराध में आरोपी नहीं किया गया। न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई। इस मुकादमे के योग्य निर्णय के लिए गवाह को माफ करने की विनती की थी। वह विशेष सत्र न्यायालय ने ठुकरा दी। इसके बाद उन्होंने खंडपीठ में फौजदारी याचिका दाखिल की थी। मूल आरोपी की ओर से एड. स्वप्निल जोशी, स्वप्निल पातूनकर, भूषण विर्धे और चंद्रशेखर कुलकर्णी ने काम देखा।