
Mumbai News. महाराष्ट्र में तानाशाह औरंगजेब को लेकर चल रही राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक अबू आसिम आजमी द्वारा औरंगजेब के गुणगान का मामला अभी थमा भी नहीं था कि सत्ता पक्ष के नेताओं व बजरंग दल एवं विश्व हिंदू परिषद ने औरंगजेब की कब्र को उखाड़ फेंकने की बात कही है। अब शिवसेना (उद्धव) सांसद एवं प्रवक्ता संजय राऊत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधते हुए कहा है कि औरंगजेब के मुद्दे पर जिस तरह से सत्ता पक्ष राजनीति कर रहा है, अब ऐसा लग रहा है कि देश विभाजन की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले और उसके बाद की स्थिति में ज्यादा अंतर नहीं दिख रहा है। राऊत ने कहा कि अब आरएसएस का काम सिर्फ दंगे भड़काना और मस्जिदों पर हमले करना बाकी रह गया है। राऊत ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पंडित नेहरू ने विभाजन के बाद कहा था कि वह भारत को हिंदू पाकिस्तान नहीं बनने देंगे। उन्होंने कहा था कि वह देश को धार्मिक लोगों के हाथ में जाने नहीं देंगे, चाहे भी हिंदू हो या मुसलमान। लेकिन आज दुर्भाग्यवश यह देश उन्हीं लोगों के हाथ में चला गया है।
राऊत ने कहा कि चाहे बजरंग दल हो या विश्व हिंदू परिषद या फिर आरएसएस। उनका खुद का नियंत्रण खत्म हो गया है। आरएसएस का काम अब सिर्फ देंगे भड़काना और मस्जिदों पर हमले करना बाकी रह गया है। इस मुद्दे पर आरएसएस को एक बार अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए। राऊत ने कहा कि महाराष्ट्र में तीन हजार किसान हर साल आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन हमारे आरएसएस प्रमुख देश का नाम बदलना चाहते हैं। भागवत को किसानों की आत्महत्या के बारे में बात करनी चाहिए। वहीं राऊत पर पलटवार करते हुए भाजपा नेता मिहिर कोटेचा ने कहा कि जो लोग हिंदुत्व को छोड़कर औरंगजेब के रथ पर सवार हो गए हैं अब वो आरएसएस पर सवाल उठा रहे हैं। कोटेचा ने कहा कि पहले उद्धव ठाकरे और राऊत को स्पष्ट करना चाहिए कि वो महाराष्ट्र को लूटने वाले के साथ हैं या उसके खिलाफ। उसके बाद उन्हें बयानबाजी करनी चाहिए।
औरंगजेब क्रूर शासक था, फडणवीस भी ऐसे ही हैं- सपकाल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल का एक विवादित बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तुलना औरंगजेब से की है। रविवार को रत्नागिरी में सपकाल ने कहा कि जिस तरह से औरंगजेब क्रूर शासक था, वैसे ही मुख्यमंत्री फडणवीस का भी व्यवहार हो गया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से औरंगजेब अपने समर्थकों और विपक्षियों के खिलाफ बर्ताव करता था, वैसे ही फडणवीस भी सरकार में भी अपने साथियों के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। इसलिए औरंगजेब और फडणवीस में कोई अंतर नहीं रह गया है।