
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में गुरुवार से राष्ट्रपति शासन लगा दिया है। बता दें, कुछ दिनों पहले मणिपुर में सीएम पद से बीरेन सिंह ने इस्तीफा सौंपा था। इसके बाद गुरुवार शाम को केंद्र सरकार ने मणिपुर को लेकर बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, राज्य में करीब दो सालों से मैतेई और कुकी समुदाय में चल रही हिंसा की वजह से कानून-व्यवस्था डगमगा गई है।
इस बीच कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “हम 20 महीनों से इसकी मांग कर रहे हैं। फरवरी 2022 को NDA को वहां भारी बहुमत मिला और 15 महीनों के अंदर ही मणिपुर जलने लगा। 300 से अधिक लोग मारे गए 60 हजार लोग विस्थापित हुए। करोड़ों की संपत्ति जलाई गई और अलग-अलग समुदायों में भय पैदा किया गया। अविश्वास प्रस्ताव लाने के कुछ घंटे पहले ही मुख्यमंत्री ने अपना इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति शासन लागू करना एक अच्छा कदम है इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं था।”
वहीं कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि भाजपा लोकतंत्र की हत्या करना चाहती है। जब अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही थी, तब राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया?
कांग्रेस अध्यक्ष ने एक्स पर किया था ट्वीट
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मेघचंद्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए लिखा है कि मणिपुर के माननीय राज्यपाल द्वारा 9 फरवरी 2025 को जारी किया गया आदेश, जिसके द्वारा 24 जनवरी 2025 के आदेश को ‘अमान्य’ घोषित किया गया है, अवैध और असंवैधानिक है। उन्होंने कहा मणिपुर विधानसभा की संवैधानिक रूप से अनिवार्य बैठक का आज आखिरी दिन होने के बावजूद विधानसभा सत्र बुलाने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। सरकारी समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा ने इसे लेकर लिखा है कि कांग्रेस नेता मेघचंद्र ने कहा मणिपुर में कुछ घंटों बाद संवैधानिक संकट का सामना करना पड़ेगा। आशा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहेंगे। कांग्रेस नेता ने कहा हम राष्ट्रपति शासन के कदम के खिलाफ खड़े होंगे।