केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और दिल्ली सरकारों की शक्तियों में कितना अंतर?

डिजिटल डेस्क, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद -370 हटाए जाने के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में एनसी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। 370 से पहले जम्मू-कश्मीर एक पूर्ण राज्य था, अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है। अब जम्मू कश्मीर की राज्य सरकार में केंद्र सरकार दखल देगी। ये ठीक उसी तरह होगा जैसे दिल्ली में होता है या फिर उससे कुछ अलग हट के होगा। जम्मू-कश्मीर और दिल्ली दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश है। दोनों प्रदेशों में ही केंद्र सरकार के प्रतिनिधि उपराज्यपाल के पास कानून व्यवस्था जैसी शक्तियां हैं।

अनुच्छेद 370 के चलते जम्मू-कश्मीर भारत का केवल एकमात्र ऐसा प्रदेश था जिसका अपना अलग संविधान और राष्ट्रीय ध्वज था। हालांकि 2019 में वहां का संविधान खत्म हो गया। 370 हटने के बाद अब वहां भी भारतीय संविधान लागू होता है। 

जम्मू-कश्मीर और दिल्ली सरकार

 भारत में कुल 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल तीन प्रदेश दिल्ली, जम्मू कश्मीर और पुडुचेरी के पास अपनी विधानसभा हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239 से लेकर अनुच्छेद 243 तक केंद्र शासित प्रदेश के कानूनों का जिक्र है। अनुच्छेद 239A के तहत राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त उपराज्यपाल ही केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासक होता हैं। दिल्ली देश की राजधानी है, दिल्ली में अनुच्छेद 239AA लागू है। दिल्ली  में लैंड, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर उपराज्यपाल के पास हैं।

केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश बिल 2023 लाए जिससे दिल्ली सरकार की शक्तियों में कई बड़े परिवर्तन हुए। अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े मामलों में उपराज्यपाल का फैसला अंतिम होता है। बाद में ये मामला सर्वोच्च अदालत पहुंचा। निजी न्यूज चैनल एबीपी ने इसे लेकर लिखा है कि  दिल्ली कर्मचारियों के ट्रांसफर से लेकर सैलरी और एक्शन पर केंद्र सरकार फैसला लेती है। उपराज्यपाल उन मुद्दों पर कानून बना सकता है।उपराज्यपाल की मर्जी से ही यहां सबकुछ होगा। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में कोई मतभेद होता है, तो उपराज्यपाल की बात ही मानी जाती है।

जम्मू-कश्मीर की विधानसभा भी लैंड पुलिस, पब्लिक ऑर्डर पर कानून नहीं बना सकती है। ये अधिकार उपराज्यपाल के पास है। समवर्ती सूची मामलों में केंद्र और राज्य दोनों को अधिकार है, लेकिन जम्मू मामले में ये अधिकार केंद्र सरकार को है। ब्यूरोक्रेसी पर उपराज्यपाल का नियंत्रण है।

आपको बता दें जब भारत आजाद हुआ तब रियासतों को ये स्वतंत्रता थी कि वो भारत पाकिस्तान में किसी भी देश में विलय हो सकती है, या फिर स्वतंत्र रूप से अपने राज्य को चला सकता है। ऐसे में जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने अपने राज्य को स्वतंत्र रूप से रहने का फैसला लिया था। उस दौरान जम्मू-कश्मीर ने भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए कि जिस पर दोनों देशों में से कोई भी जम्मू कश्मीर पर हमला नहीं कर सकता। लेकिन बाद में पाकिस्तान ने गलत नीयत से 6 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर पर हमला किया। महाराजा हरि सिंह ने अपने राज्य को बचाने के लिए तत्कालीन भारतीय सरकार से शरण मांगी। और जम्मू कश्मीर को भारत में विलय करने का अनुरोध किया था। उस वक्त जम्मू कश्मीर महाराजा ने सरकार के सामने कुछ विशेष दर्ज की शर्ते रखी, आर्टिकल 370 जम्मू कश्मीर को स्पेशल दर्जा देता था। अब वह खत्म हो गया है।