
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के दिग्गज बिजनेसमैन और समाजसेवी रतन नवल टाटा (Ratan Naval Tata) का निधन बीती रात 9 अक्टूबर को हो गया है। उन्होंने 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। रतन ने भले ही इस दुनिया का अलविदा कह दिया है, लेकिन उनकी सादगी, शख्सियत और समाज के उत्थान के लिए किए गए कार्यों के जरिए वे हमेशा ही लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे। उन्होंने अपने जीवन में कितने ही ऐसे कार्यों का नेतृत्व किया है, जो देश के लिए गौरव हैं।
वहीं बात करें ऑटोमोबाइल सेक्टर की तो इसमें भी रतन टाटा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। देश की पहली स्वदेशी कार से लेकर, 1 लाख रुपए की टाटा और इलेक्ट्रिक व्हीकल के क्षेत्र में उन्होंने क्रांति लाने का काम किया। इस क्षेत्र से जुड़े कई सारे किस्से हैं, जिनमें से एक है जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण और दूसरी दिल में एक कार के लिए खास जगह। आइए जानते हैं इनके बारे में…
रतन टाटा की फेवरेट कार
रतन टाटा के पास यूं तो कई एक सब बढ़कर एक शानदार कारों का कलेक्शन रहा है। इनमें फेरारी कैलिफोर्निया, क्रिसलर सेब्रिंग, कैडिलैक एक्सएलआर, मर्सिडीज बेंज एस-क्लास, लैंड रोवर जगुआर जैसी और लग्जरी गाड़ियां शामिल हैं। इसके अलावा उनके गैराज में टाटा नैनो, टाटा नेक्सन और टाटा इंडिका रही हैं।
इस कार के लिए दिल में खास जगह
आपको बता दें कि, रतन टाटा के लिए टाटा नैनो ड्रीम प्रोजेक्ट था और आज भी उनके गैराज में यह छोटी सी कार रखी हुई है। उन्हें कई बार इसका इस्तेमाल करते हुए देखा गया। लेकिन इसके अलावा एक कार और ऐसी है जो उनके दिल के करीब रही और इसका खुलासा उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर किया था।
दरअसल, साल 2023 में जब टाटा इंडिका की 25वीं सालगिरह थी तो इस मौके पर रतन टाटा ने इसको लेकर इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर किया था। उन्होंने इस पोस्ट में एक तस्वीर को भी शेयर किया था, जिसमें रतन टाटा टाटा इंडिका के पास खड़े नजर आए थे। पोस्ट उन्होंने लिखा था- “25 साल पहले, टाटा इंडिका की लॉन्चिंग भारत के स्वदेशी पैसेंजर कार उद्योग का जन्म था। यह अच्छी यादें ला रहा है। इसके लिए मेरे दिल में एक खास जगह है।
जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण
टाटा इंडिका रतन टाटा के दिल में बसी कार थी और यह वही कार थी जिसकी वजह से आज टाटा के पास जगुआर और लैंड रोवर जैसे ब्रांड हैं। दरअसल, बात 90 के दशक की है, जब TATA Sons के चेयरमैन रतन टाटा थे और उनके ही नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने अपनी कार टाटा इंडिका (Tata Indica) को लॉन्च किया था। लेकिन इस कार की बिक्री कम होने कारण रतन टाटा ने साल 1999 में इसे बेचने का निर्णय लिया और उन्होंने इसके लिए अमेरिका की पॉपुलर कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स से बात की।
फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड से करीब 3 घंटे की मुलाकात में रतन टाटा को सिर्फ अपमान ही मिला। फोर्ड ने कहा कि, जब तुम्हें कार के बारे में कुछ जानकारी नहीं थी तो यह डिवीजन शुरू ही क्यों किया? उन्होंने अपमान करते हुए कहा कि, यदि ये सौदा होता है तो ये तुम्हारे ऊपर बड़ा एहसान होगा। उसी समय रतन ने डिवीजन को बेचने का अपना फैसला वापस लिया और भारत वापस आकर अपने बिजनेस को बढ़ाने पर फोकस किया।
लेकिन, साल 2008 में एक स्थिति ऐसी भी बनी जब फोर्ड पर वित्तीय संकट आया और नौवत यहां तक आ गई कि उसे जगुआर और लैंड रोवर जैसे ब्रांड को संभालना मुश्किल हो गया। ऐसे वक्त में टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर से जगुआर और लैंड रोवर को खरीदा था। यह डील करीब 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में हुई थी। इस डील के बाद बिल फोर्ड ने रतन टाटा का आभार जताते हुए धन्यवाद दिया था और कहा था कि, आपने हमारे ऊपर बहुत बड़ा एहसान किया है।