
Mumbai News सुरेश ठमके। वह दिन दूर नहीं जब दुबई, वियतनाम सहित कई देशों के लोगों को महाराष्ट्र में पैदा होने वाली फल, ताजी सब्जियां व अनाज मिल सकेगा। राज्य के किसानों के कृषि उत्पादों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने के लिए राज्य का विपणन विभाग विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहा है। कई देशों के साथ बैठक हो चुकी है। इनके साथ जल्द ही करार किया जाएगा।
राज्य के विपणन मंत्री जय कुमार रावल ने दैनिक भास्कर को बताया कि राज्य में किसान अनेक फल, सब्जियों का उत्पादन करते हैं। यहां मुख्य रूप से प्याज, आलू, आम, अंगूर, केला, अनार के साथ-साथ चावल, दालें, गेहूं, बाजरा, ज्वार आदि फसलें उगाई जाती हैं। किसानों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को राज्य में जरूरी नहीं कि अच्छे दाम मिलें, लेकिन राज्य सरकार ने अब यह सुनिश्चित करने की पहल की है कि किसानों के उत्पादों की मार्केटिंग हो और उन्हें वैश्विक बाजार में अच्छी गुणवत्ता और अच्छी कीमत मिले।
कई देशों के साथ चर्चा चल रही है
रावल ने कहा कि राज्य सरकार के विपणन विभाग ने कई देशों के चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और उच्चायुक्तों के साथ सीधी बातचीत शुरू की है। तथा इस बात पर विचार-विमर्श चल रहा है कि हमारे देश के किन कृषि उत्पादों और वस्तुओं को उपयुक्त बाजार मिल सकता है, साथ ही उनके देशों से कौन सी वस्तुएं हमारे देश में आयात की जा सकती हैं। जयकुमार रावल ने कहा कि यह हमारे किसानों को वैश्विक बाजार में जगह दिलाने में मदद करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है और इससे किसान वैश्विक छलांग लगाने में सक्षम होंगे।
इन देशों के साथ हुई चर्चा
विभाग ने अब तक वियतनाम, जिबूती, दुबई, इंडोनेशिया और अर्जेंटीना जैसे देशों के साथ सकारात्मक चर्चा की है। उन्होंने कहा कि जल्द ही हम अपने किसानों द्वारा उत्पादित कृषि उपज को इन देशों में भेज सकेंगे। इसके अलावा यूरोपीय देशों के चैंबर ऑफ कॉमर्स और साइप्रस के चैंबर के साथ भी चर्चा चल रही है और इसके जल्द ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंग।
परमिट के लिए चैम्बर्स होंगे जिम्मेदार
विपणन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कृषि उत्पादों को विदेश भेजने के लिए आवश्यक परमिट और केंद्रीय स्तर की मंजूरी की जिम्मेदारी संबंधित चैंबर ऑफ कॉमर्स की होगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से जो भी सहायता आवश्यक होगी, वह उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। इसको लेकर अभी तक विभिन्न देशों के साथ सात से आठ बैठकें हो चुकी हैं।
तुर्कीए और चीन से दूरी
अधिकारी ने बताया कि हम सभी देशों के साथ वास्तविक व्यापार परिप्रेक्ष्य से चर्चा कर रहे हैं पर मौजूदा भारत-पाकिस्तान तनाव के बाद पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्किए और चीन के साथ किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं करने की नीति अपनाई गई है।