शबरी जलप्रपात में आधा दर्जन तेंदुओं का डेरा, अलर्ट मोड पर वन अमला

Satna News: चित्रकूट वन क्षेत्र में एमपी-यूपी के बॉर्डर पर स्थित शबरी जलप्रपात की मांद में इन दिनों तकरीबन आधा दर्जन तेंदुओं का डेरा है। पहली बार लेफर्ड की यह टोली वन विभाग की नजर में ५ मार्च को आई थी। तभी से इनके मूवमेंट पर दोनों राज्यों के मैदानी वन अमले की नजर है। चित्रकूट के रेंजर विवेक सिंह के मुताबिक यह स्थल जुड़ेही बीट के कक्ष क्रमांक पीएफ ६५ में स्थित है। यह समय तेंदुओं का प्रजनन काल है।

वन विभाग ने पर्यटकों और जल प्रपात से लगे गांवों के ग्रामीणों को आगाह किया है कि जरूरी न हो तो इन दिनों प्रपात की ओर न जाएं। वैसे भी मानसून सीजन में प्रपात दर्शनीय होता है। यह भी कहा गया है कि शाम के समय तेंदुए मांद से निकल कर वन क्षेत्र में विचरण करते हैं। कंदराओं के साथ- साथ भोजन-पानी की पर्याप्त उपलब्धता के कारण चित्रकूट का संपूर्ण वन क्षेत्र टाइगर और तेंदुआ जैसे हिंसक वन प्राणियों के प्रति पूर्णतया अनुकूल है।

पयस्वनी नदी पर है वाटर फॉल:

मध्यप्रदेश के सतना और उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले की सीमा पर शबरी जलप्रपात पयस्वनी नदी पर स्थित है। यूं तो नदी का उद्गम बरौंधा से है मगर यह एक बरसाती नदी है। इसे सदानीरा बनाने के लिए निर्माणाधीन दौरी सागर बांध से लिंक करने की योजना है। उल्लेखनीय है, पर्यटन की दृष्टि से शबरी जलप्रपात को विकसित करने के लिए डीएमएफ फंड से ६० लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। मानसून सीजन में पयस्वनी का जल लगभग २५० फीट ऊंचा जल प्रपात बनाता है। यहां लगभग १७० सफेद गिद्ध भी हैं।

इनका कहना है-

शबरी जलप्रपात और उसके आसपास के वनक्षेत्र में तेंदुओं के मूवमेंट को ध्यान में रखते हुए पर्यटकों एवं संबंधित ग्रामीणों को आगाह किया गया है। वन अमले की निगरानी भी बढ़ाई गई है।

विवेक सिंह, रेंजर चित्रकूट