
डिजिटल डेस्क, कराची। पाकिस्तानी हुकूमत, उसकी फौज और खुफिया एजेंसी आईएसआई इन दिनों मुसीबत का सामना कर रही है। बीएलए और डॉ महरंग दोनों ही अपने अपने तरीके से पाकिस्तान से बलूचिस्तान को आजाद कराने की मांग कर रहे है। हिंसक और अहिंसक दोनों ही विचारधाराएं दशकों से अपनी जंग जारी रखे है। बलूच लोगों के अपहरण और उनके मानवाधिकार हनन के खिलाफ अहिंसक तरीका अपनाने के लिए डॉ. महरंग बलूच को कुछ दिन पहले ही वर्ष 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। पाकिस्तान की सियासत गोली के बजाय महरंग के अहिंसक आंदोलन से अधिक डरी हुई है। महरंग को बलूचिस्तान की आजादी के लिए गांधी माना जा रहा है। एक तरफ आतंकवादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन फोर्स लगातार आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहा है। इसे पाकिस्तान के खिलाफ गोलीबारी वाली हिंसक विचार धारा माना जाता है, दूसरी तरफ 32 वर्षीय डॉ महरंग बलूच अहिंसक तरीके से गांधीवादी तरीके से प्रदर्शन कर रही है।
हाल ही में बीएलए नामक संगठन ने हिंसात्मक तरीके से जफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाइजैक कर लिया था। साथ ही इसमें कई सैनिकों की मौत हो गई थी। आपको बता दें मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अहिंसात्मक आंदोलन खड़ा करने वाली डॉ. महरंग बलूच से पाकिस्तान की पाकिस्तानी हुकूमत, उसकी फौज और खुफिया एजेंसी भयभीत रहती हैं।
आपको बता दें पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने डॉ महरंग को काफी जख्म दिए है। अपने पिता के साथ मानवाधिकारों के लिए लड़ाई लड़नी शुरू करने वाली महरंग को 13 साल की उम्र में अपने पिता समेत अनेक बलूचों की कुर्बानी देनी पड़ी है।
महंरग के मार्च से हुकूमत हुई पस्त
पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ महरंग ने 2020 में बोलन मेडिकल कॉलेज में कोटा सिस्टम खत्म करने के विरोध में अनशन कर एक बड़ा छात्र आंदोलन खड़ा किया। महरंग की अगुवाई में 2023 में तुर्बत से इस्लामाबाद तक 1,600 किलोमीटर लंबा बलूच मार्च निकाला गया। तब इस्लामाबाद पुलिस ने महरंग को गिरफ्तार कर लिया था। जमानत पर वो बाहर आई। पिछले साल महरंग ने एक रैली की जिसकी भीड़ को देखकर पाकिस्तान सरकार घबरा गई। उस दौरान उन पर आतंकी गतिविधियों से संलिप्त होने समेत कई केस दर्ज किए।