बस्ती के नाम का कलंक – परेशानी का सबब, न विदेश जा पा रहे हैं और न शादियां हो रहीं

Nagpur News. कहावत है ‘नाम में क्या रखा है’, लेकिन इस कहानी को सुनेंगे तो लगेगा कि नाम में ही सब कुछ रखा है। शहर में मध्य नागपुर की विवादास्पद बस्ती ‘बांग्लादेश’ के नाम के कारण कई लोगों को अपने सांसारिक जीवन सहित करियर बनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों से बातचीत में इसका दर्द छलका है। नागरिकों का कहना है कि जब वे शादी के लिए रिश्ता लेकर जाते हैं और सामने वाले को इस क्षेत्र का नाम पता चलता है, तो वे यह सोचकर मना कर देते हैं कि वे सच में बांग्लादेश से आए हुए लोग हैं। यहीं नहीं युवाओं को ‘नौकरी’ से भी हाथ धोना पड़ रहा है। दस्तावेज पर बांग्लादेश का नाम सुनकर ‘दस्तावेज वैध नहीं है’ कहकर उनके आवेदन खारिज कर दिए जाते हैं।


नाम बदलने की मांग तेज : स्थानीय एक युवा ने अंतरराष्ट्रीय संस्था में नौकरी के लिए आवेदन किया और उसका सिलेक्शन भी हुआ, लेकिन भारतीय नागरिक के दस्तावेज पर बांग्लादेश का पता देख दस्तावेज वैध नहीं है, कहकर उसे नौकरी लगने से पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अब स्थानीय नागरिक इस नाम से असहज महसूस करते हैं। बाहर जाने पर वे बांग्लादेश की बजाए अपनी बस्ती का नाम नाईक तालाब या फिर कामगार नगर बताते हैं। ऐसे में अब बांग्लादेश बस्ती का नाम बदलने की भी मांग की जा रही है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि राज्य सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी और जल्द से जल्द इस क्षेत्र का नाम बदलकर उन्हें राहत प्रदान करेगी।

ऐसे नाम पड़ा “बांग्लादेश’ का

यहां के निवासियों का कहना है कि यह नाम 50 साल पहले उस वक्त पड़ा, जब पाकिस्तान से बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। तब स्थानीय नेताओं ने इस जगह का नाम बांग्लादेश घोषित कर दिया था। जिस दिन बांग्लादेश बना था, उसी दिन इस बस्ती की भी नींव पड़ी थी। इसलिए बांग्लादेश को लेकर उत्साह बना था। बताते हैं कि उसी समय नाईक तालाब के पास कुछ काम चल रहा था और वहां काम करने वाले मजदूर इसी क्षेत्र में गुजर बसर करते थे। इस कारण इस जगह को कई लोग “कामगार नगर’ भी कहते हैं, लेकिन “बांग्लादेश’ नाम अब भी ज्यों का त्यों बना हुआ है।

विवादित नाम बदले सरकार

भारतीय संस्कृति को बचाने के नाम पर सरकार हर विवादित जगह का नाम बदल रहीं तो फिर जल्द से जल्द इस क्षेत्र का नाम बदलकर रहिवासी नागरिकों का भविष्य उज्ज्वल करने में सरकार त्वरित सहयोग प्रदान करे और इस क्षेत्र का नामांतर करे। पिछले 60 साल से हमारे क्षेत्र का नाम बांग्लादेश है। जिस देश से फ़िलहाल हमारे संबंध भी विवाद में चल रहे हैं, ऐसे देश का नाम हमारे क्षेत्र के माथे पर कलंक की तरह चस्पा है।

– सचिन बिसेन, अध्यक्ष, एक्शन एनजीओ

क्या कहते हैं नागरिक

 मैं पिछले 35 साल से यहां रह रही हूं और जब मैंने शादी की थी, तो मुझे यह बताने में अजीब लगता था कि मेरा ससुराल बांग्लादेश है। अगर इस क्षेत्र का नाम बदल दिया जाए तो हमें यह असुविधा नहीं होगी।

– रेखा पराते (स्थानीय निवासी)

जब मेरे बेटे के लिए रिश्ता देखने गए तो लड़की वालों ने मोहल्ले का नाम सुनकर मना कर दिया। उन्हें लगा कि हम सच में बांग्लादेश से हैं।

– स्मिता कठाले (स्थानीय निवासी)

जैसे औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्यनगर किया गया है, वैसे ही जल्द से जल्द विधानसभा में प्रस्ताव डालकर बांग्लादेश का नाम बदल कर कोई भी दूसरा नाम रखा जाए।

– वासुदेव मराठे (स्थानीय निवासी)