
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दी पंचांग का 12 वां और आखिरी माह फाल्गुन चल रहा है और इसी महीने में रंगों का त्योहार होली (Holi) मनाया जाता है। इस वर्ष होली का पर्व 14 मार्च को मनाया जाएगा और एक दिन पहले यानि कि 13 मार्च को होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाएगा। लेकिन, इससे ठीक 8 दिन पहले यानि कि 07 मार्च से होलाष्टक (Holashtak) शुरू होने वाले हैं। 8 दिनों के इस समय को अशुभ माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन 8 दिनों में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किए जाते। इनमें गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, सगाई, विवाह, नया वाहन खरीदना एवं अन्य मंगल कार्य शामिल हैं। ऐसा क्यों होता है इसके पीछे पौराणिक कथा है। आइए जानते हैं इसके बारे में…
ये कथा है प्रचलित
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय असुर जाति का राजा हिरण्यकश्यप रहता था और वह अपनी प्रजा पर बड़े अत्याचार करता था। वह लोगों को ईश्वर पूजा भी नहीं करने देता था, लेकिन उसके यहां पुत्र का जन्म हुआ जो भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। पुत्र का नाम पहलाद था और पिता हिरण्यकश्यप उसकी इस भक्ति से बहुत क्रोधित होता था। कई बार मना करने पर भी जब प्रहलाद ने हरि नाम का स्मरण करना नहीं छोड़ा तो उसने अपने पुत्र को मारने के लिए कई योजनाएं बनाईं।
कथा के अनुसार, फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन ही हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को बंदी बनाया था और इसके 8 दिनों तक उसे जान से मारने के लिए कई तरह की यातनाएं दी गई थीं और होलाष्टक के आठवें दिन यानि कि पूर्णिमा पर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को गोद में लेकर उसे जलाने को कहा था, जिसमें स्वयं श्रीहरि ने अपने भक्त प्रहलाद को बचा लिया था और वरदान प्राप्त होते हुए भी होलिका भष्म हो गई थी।
कहा जाता है कि, भगवान श्रीहिर के भक्त प्रहलाद को 8 दिनों की इस अवधि में कष्ट दिए जाने से नवग्रह भी क्रोधित हो गए थे। तभी से इस अवधि में किए जाने वाले शुभ कार्यों में अमंगल होने की आशंका के चलते इन दिनों को अशुभ माना जाने लगा और इसलिए होलाष्टक में शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।
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