
Chhindwara News: मातृ-शिशु मृत्युदर कम करने और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने का दंभ भरने वाले स्वास्थ्य महकमे के सारे दांवे पांढुर्ना के बिरोलीपार में खोखले साबित हुए। सोमवार दोपहर को यहां एम्बुलेंस के इंतजार में गर्भवती एक घंटे तक प्रसव पीड़ा से तड़पती रही। आखिरकार एम्बुलेंस न आने पर परिजन दर्द से तड़त रही गर्भवती को निजी वाहन से अस्पताल ला रहे थे। वाहन में ही गर्भवती का प्रसव हो गया। गर्भवती ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है।
बताया जा रहा है कि ग्राम बिरोलीपार निवासी रूपाली धुर्वे को सोमवार दोपहर लगभग १२ बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई थी। परिजनों ने एम्बुलेंस के लिए १०८ पर कॉल किया। लगभग एक घंटे तक एम्बुलेंस नहीं आई। प्रसव पीड़ा बढ़ती देख परिजन निजी वाहन से रूपाली को पांढुर्ना अस्पताल ला रहे थे। अस्पताल आते वक्त कलमगांव के समीप रूपाली का वाहन में ही प्रसव हो गया। गनीमत है कि वाहन में रूपाली के साथ परिवार की महिलाएं थी, जिन्होंने वाहन में ही प्रसव कराया। रूपाली ने दो बेटियों को जन्म दिया है।
जच्चा-बच्चा छिंदवाड़ा रेफर-
सिविल अस्पताल आने पर शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. मिलिंद गजभिए ने महिला और उसकी जुड़वा बेटियों को तत्काल स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई। डॉ.मिलिंद गजभिए ने बताया कि जुड़वा बच्चियों में से एक का वजन 720 और दूसरे का वजन 160 ग्राम है। बच्चियों का वजन सामान्य से काफी कम है। ऐसे में दोनों को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर किया गया है।