भौम प्रदोष व्रत पर इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, बरसेगी भोलेनाथ की कृपा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है। यह दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। दिन के अनुरूप इस व्रत को अलग- अलग नामों से जाना जाता है। फिलहाल, फाल्गुन माह चल रहा है और प्रदोष व्रत मंगलवार को रखा जा रहा है। इसे भौम प्रदोष (Bhaum Pradosh Vrat) कहा जाता है, जो कि 25 फरवरी को रखा जाएगा।

मंगलवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत में हनुमान जी की पूजा का भी महत्व माना गया है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, हनुमान जी को भगवान शिव का ही रुद्रावतार कहा जाता है। ऐसे में भौम प्रदोष पर हुनमान जी की पूजा करने पर कुंडली में मंगल दोष से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं पूजन विधि और इसका महत्व…

व्रत विधि

प्रदोष व्रत के दिन व्रती को सुबह उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करें। पूरे दिन मन ही मन “ॐ नम: शिवाय ” का जप करें। प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करें। बता दें कि, प्रदोष व्रत की पूजा संध्या काल 4:30 बजे से लेकर संध्या 7:00 बजे के बीच की जाती है।

पूजा विधि

प्रदोष काल में पूजा स्थल को गंगाजल या साफ जल से शुद्ध करें और मंडप तैयार करें।

इसके बाद पांच रंगों से कमल के फूल की आकृति बनाएं

अब भगवान शिव की एक मूर्ति या तस्वीर रखें।

उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिव जी की विधि विधान से पूजा करें।

इस मंत्र का करें जाप

शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

हनुमान जी की आराधना करें

भौम प्रदोष की शाम को हनुमान जी के मंदिर जाकर चमेली के तेल का दीपक जलाएं और 11 बार संकटमोचन हनुमाष्टक पाठ करें कुंडली में मंगल दोष का निवारण करने हनुमान जी को हलवा पूरी का भोग लगाएं। इसके बाद इसे गरीबों व जरूरतमंदों को बांटें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।