नहीं बचा बांधवगढ़ में पर्यटकों का पसंदीदा बाघ ‘छोटा भीम’

Shahdol News: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पर्यटकों का पसंदीदा बाघ छोटा भीम की रविवार को भोपाल के वन विहार में इलाज के दौरान मौत हो गई। वन विभाग ने बाघ की मौत का कारण कंजेक्टिव हार्ट फेलियर बताया है। बाघ छोटा भीम को 29 नवंबर को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली व पनपथा रेंज के बीच जंगल में रेस्क्यू कर 30 नवंबर को भोपाल वन विहार में इलाज के लिए ले जाया गया था।

वहां 2 माह तक चले इलाज के बाद भी बाघ के जान नहीं बचाई जा सकी तो इसके पीछे प्रमुख कारण यह भी माना जा रहा है कि बाघ के गले में चोट के निशान का पता लगने के बाद रेस्क्यू के लिए बाघ को ढूंढऩे में ही तीन दिन का समय लग गया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली रेंज में 26 नवंबर को एक पर्यटक ने बाघ छोटा भीम के गले में चोट के निशान की जानकारी टाइगर रिजर्व प्रबंधन को दी।

टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर के निर्देशन में बाघ की तलाश प्रारंभ हुई तो पता लगाने में 3 दिन लग गए। 29 नवंबर को छोटा भीम का पता लगा, तब तक क्लच वायर के कारण गले में चोट का घाव गहरा हो गया था।

क्लच वायर से चोट गंभीर बात

छोटा भीम बाघ के गले में चोट क्लच वायर से हुआ था। उसकी टेरीटेरी टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में है, जो जंगल का सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है। यहां क्लच वायर से चोट लगने के बाद बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्लच वायर जंगल में कैसे पहुंचा। अमूमन जंगली सुअर का शिकार करने के लिए शिकारी क्लच वायर का उपयोग करते हैं।

बाघ को ढूंढऩे में समय तो लगता है। तीन दिन का समय लगा था यह बात सही है। फिर भी वन विहार में दो माह जिंदा रहा। कोशिश करेंगे कि बांधवगढ़ में बाघों की मॉनीटरिंग और बेहतर किया जाए।

अनुपम सहाय फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व