विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में शुरु हुआ दल बदलने का खेल, जेडीयू छोड़ आरजेडी में शामिल हुआ ये बड़ा नेता, नीतीश पर लगाए गंभीर आरोप

Bhaskar Jabalpur
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डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव होने में अभी 10 महीने का समय बाकी है। साल के अंत तक राज्य में चुनाव होंगे। लेकिन, इससे पहले ही सूबे की सियासत में दल बदलने का खेल शुरू हो गया है। सत्ताधारी दल जेडीयू को बड़ा झटका देते हुए पूर्व सांसद मंगनी लाल मंडल ने पार्टी से अपना नाता तोड़ते हुए आरजेडी में घर वापसी की है।

तेजस्वी ने बताया गर्व का पल

मंगनी लाल मंडल शुक्रवार को आरजेडी में शामिल हो गए। नेता प्रतिपक्ष और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। तेजस्वी यादव ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व का पल है कि हमारे अभिभावक और पिता जी के सहयोगी रहे मंगनी लाल मंडल फिर से पार्टी में शामिल हो गए हैं। मंगनी लाल मंडल के आने से पार्टी को लाभ होगा ही, साथ ही उनके अनुभव से हम समाजवादी युवा बिहार में समाजवाद को और भी ऊंचा उठा सकेंगे। मंगनी लाल मंडल को पार्टी में एक अहम भूमिका दी जाएगी। उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी।

वहीं, आरजेडी में शामिल होने के बाद मंगनी लाल मंडल ने कहा कि वह अपने पुराने घर में वापस लौटकर काफी खुश हैं। पार्टी के संस्थापक लालू यादव उनके नेता रहे हैं और वह हमेशा उनके सहयोगी रहे हैं। लालू यादव के साथ उनका संबंध गहरा था। वहीं, जेडीयू पर हमला करते हुए पूर्व सांसद ने कहा कि वह पांच साल तक जेडीयू में उपाध्यक्ष और सचिव रहे, लेकिन पार्टी में उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि जेडीयू में कार्यकर्ताओं के साथ धोखा किया जाता है और खासकर अति पिछड़ों के साथ नाइंसाफी की जाती है। जेडीयू अब सिर्फ कुछ लोगों द्वारा चलाई जा रही है और अधिकांश पार्टी कार्यकर्ता खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

उन्होंने जातीय गणना और आरक्षण के मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा। मंडल ने कहा कि जातीय गणना के आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं कराना, नीतीश कुमार की नाकामी है।

जेडीयू में अब सिर्फ “साढ़े तीन आदमी”

तेजस्वी यादव की तारीफ करते हुए मंगनी लाल मंडल ने कहा कि तेजस्वी यादव के प्रयासों से बिहार में जातीय गणना और सरकारी नौकरियों में सुधार हुआ है, जिससे समाज के पिछड़े वर्ग को काफी लाभ हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि जेडीयू में अब सिर्फ “साढ़े तीन आदमी” हैं, जो पार्टी चला रहे हैं और दलित, अति पिछड़ा वर्ग पार्टी के अंदर भी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है।