गुहार सुन लेते सरकार! न्याय मांगने 550 किमी पैदल आए, सीएम से नहीं हुई मुलाकात

Nagpur News. शनिवार को शीतसत्र का आखरी दिन था। इस कारण पूरे परिसर में नाममात्र ही धरना पंडाल देखने को मिले। इसमें ध्यानाकर्षित करने वाला पंडाल वीरांगना झलकारीबाई कोळी सामाजिक संस्था, धुळे का था। इस पंडाल में बैठे प्रदर्शनकारियों ने साढ़े पांच सौ किमी का सफर तय कर यहां पहुंचने की बात बताई। संस्था की अध्यक्षा व सामाजिक कार्यकर्ता गीतांजलि शशिकांत कोळी के नेतृत्व में कोळी समाज की मांगों को लेकर यह प्रयास रहा।

कई मुश्किलों का किया सामना

अध्यक्षा गीतांजलि शशिकांत कोळी ने बताया कि वह 9 दिसंबर को धुले से अपने कार्यकर्ता लीलाबाई, रोहित, गणेश आदि के साथ शीतसत्र में अपनी मांगें लेकर पैदल निकली थीं। शीतसत्र खत्म होने से पहले पहुंचने की जिद थी। ऐसे में केवल 4 घंटे नींद लेकर वह लगातार चलते रहे। इस बीच उन्हें कुछ ही जगह पर पुलिसवालों की मदद मिली, अमरावती के बाद तो किसी का ध्यान भी नहीं था। ऐसे में जंगल इलाकों में ठिठुरती ठंड में उन्होंने रात बिताई, जिससे उनकी तबीयत भी खराब हुई। उम्मीद थी कि यहां पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिससे अपमानित भी लग रहा है। सरकार को हमारी गुहार सुननी पड़ेगी। कोळी समाज की मांग जायज है, ऐसे में उसे मानना पड़ेगा। अन्यथा यहां से न उठने की चेतावनी उन्होंने दी है।

यह हैं मांगें

महाराष्ट्र के आदिवासी कोळी, ढोर, ठोकरे कोळी, महादेव कोळी, मल्हार कोळी जमाती को वर्ष 1950 पूर्व के कोळी या निवासी पंजीयन मांगे बगैर जमाती का प्रमाणपत्र दिया जाए। ताकि उनकी जाति के नाम पर उच्च स्तर पर चलने वाले घोटाले बंद हो सकें। वहीं, उन्हें स्वतंत्र जाति का दर्जा मिलने से उनका हक मिले।