
Chhindwara News: आम लोगों के राजस्व रिकार्ड और अन्य कामों के लिए राज्य सरकार राजस्व महा अभियान चला रही है। अब तक दो चरण में हुए कामों को लेकर प्रशासनिक तंत्र और जनप्रतिनिधि वाहवाही लूट रहे हैं। इधर हालात यह है कि तहसील मुख्यालय परासिया और उमरेठ पहुंचने वाले ग्रामीण अक्सर यहां मौजूद कार्यालय, पान ठेले, चाय की दुकान में पूछते हैं कि हमारे यहां के पटवारी का कार्यालय कहां है?
राजस्व कार्यों में ग्रामीणों की सुविधा के लिए परासिया तहसील का क्षेत्र बड़ा होने के कारण उमरेठ तहसील का गठन किया गया, इसके बाद ग्रामीणों को फौती नामांतरण, सीमांकन, फार्मर आईडी, जाति प्रमाण के दस्तावेजों पर सील साइन के लिए परेशान होना पड़ता है। इसका मुख्य कारण यह है कि पटवारी अपने मुख्यालय में नहीं पहुंचते हैं। किसी भी कार्य के लिए ग्रामीण जब संबंधित पटवारी से मोबाइल पर संपर्क करते हैं तो उन्हें तहसील मुख्यालय में पहुंचने का फरमान सुना दिया जाता है और ग्रामीण तहसील मुख्यालय में पटवारी साहब की तलाश करते हैं। गांव ही नहीं नगरों में भी ऐसे ही हालात हैं। चांदामेटा- न्यूटन- बडक़ुही के हल्का पटवारी का कार्यक्षेत्र परासिया भी है। ये पटवारी परासिया में ही कार्यालय संचालित करते हैं। जिससे चांदामेटा, बडक़ुही, न्यूटन चिखली के हितग्राहियों को अपने कार्य करवाने परासिया आना पड़ता है।
काॅम्प्लेक्स की दुकान में चल रहे ऑफिस
पटवारियों को राजस्व कार्यों के लिए कार्यालयीन दिवस में अपने मुख्यालय के शासकीय भवन में कामकाज करने के निर्देश हैं लेकिन अधिकांश पटवारी निजी भवन किराए पर लेकर ऑफिस चला रहे हैं। परासिया तहसील मुख्यालय के पास एक कांप्लेक्स में तीन चार पटवारियों के दफ्तर हैं। यहां भी ग्रामीणों को यह पता करना मुश्किल होता है उनके पटवारी साहब का आफिस किस दुकान में है।
इनका कहना है…
परासिया और उमरेठ तहसील अंतर्गत 52 हलकों में 39 पटवारी पदस्थ हैं। शासन के निर्देशानुसार पटवारी को सप्ताह में तीन दिन अपने हलका मुख्यालय में रहना है। पटवारी के हलका मुख्यालय में कार्य नहीं करने की शिकायत मिलती है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
-पुष्पेंद्र निगम, एसडीएम परासिया