
Gondia News. आमगांव तथा सालेकसा तहसील के 48 गांवों – कस्बों को जलापूर्ति करनेवाली बनगांव प्रादेशिक ग्रामीण जलापूर्ति कुछ दिन पूर्व ही जलशुद्धिकरण केंद्र तक पानी पहुंचानेवाली लाइन में दो बड़े लीकेज के कारण लगभग 8 दिनों तक बंद रही थी। जिससे 50 हजार से अधिक लोगों को पानी के लिए दर-दर भटकने की नौबत आ गई थी। जैसे-तैसे दुरुस्ती होने के बाद 6 दिन पूर्व यह योजना शुरू हुई तो लाेगों ने राहत की सांस ली थी। लेकिन यह खुशी एक सप्ताह भी बरकरार नहीं रह पाई और 2 मार्च को फिर ग्राम साखरीटोला में किसी व्यक्ति ने बोरवेल खुदाई का काम किया, जिससे 600 मीटर व्यास की गुरुत्वनलिका में फिर बड़ा लीकेज हो गया। जिसके बाद जलापूर्ति बंद कर दी गई है। जिला परिषद ग्रामीण जलापूर्ति उपविभाग देवरी के उपअभियंता राजेंद्र सतदेवे ने बताया कि पाइप लाइन के लीकेज की दुरुस्ती होने के बाद ही अब इस योजना से नियमित जलापूर्ति प्रारंभ होगी। लेकिन इसमें कितना समय लगेगा? इस बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। सोमवार जलापूर्ति बंद होने का दूसरा दिन था और पीने के पानी के लिए फिर लोग परेशान होते नजर आए।
32 करोड़ की योजना से कभी लगातार नहीं मिला पानी : 2008 में लगभग 32 करोड़ की लागत से आमगांव-सालेकसा के 48 गांवों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करने की दृष्टि से यह योजना बनाई गई थी। लेकिन इसके बाद एक भी वर्ष ऐसा नहीं गया, जब पूरे वर्ष भर योजना से उपभोक्ताओं को नियमित रूप से जलापूर्ति हुई हो। कभी पानी टैक्स नहीं भरने के कारण बिजली खंडित होने से, कभी योजना की देखभाल एवं दुरुस्ती का काम करनेवाली ठेकेदार कंपनी के बिलों का भुगतान बकाया रहने से तो कभी पाइप लाइन में लीकेज होने के कारण जलापूर्ति बाधित होती रहती है। गांवों में एक दिन बाद में जलापूर्ति होती है। इस व्यवस्था से भी उपभोक्ताओं ने जैसे-तैसे समझौता कर लिया है। लेकिन बार-बार निर्माण होनेवाली समस्याओं के कारण उपभोक्ता अब त्रस्त हो गए हैं। सोशल मीडिया पर कुछ उपभोक्ताओं ने बोरवेल की खुदाई करनेवाले व्यक्ति की खोज कर उस पर नियमानुसार कार्रवाई किए जाने की भी मांग की है।
जलाशयों से वाष्पीकरण भी हुआ तो चिंता की बात नहीं
इस वर्ष फरवरी से ही गर्मी का प्रकोप शुरू हो गया है। लेकिन जिले के जलाशयों की ओर नजर डाली जाए तो लबालब पानी भरा हुआ है, अगर आगामी दिनों में वाष्पीकरण होता भी है तो मजीप्रा ने अपने लिए पानी आरक्षित कर रखा है। जिससे शहरवासियों की प्यास बुझाई जाएगी।
गौरतलब है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, वैसे-वैसे जिले के जलाशयों का जलस्तर भी कम होता जाएगा। फिलहाल जिले के कुछ जलाशय में 50 प्रतिशत से भी कम तो कुछ जलाशयों में 60 प्रतिशत से अधिक पानी संग्रहित है। आनेवाले दिनों में भीषण गर्मी बढ़ेगी तो जलाशयों का जलस्तर भी कम होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। जल संकट हो सकता है और शहरवासियों को पानी के लिए भटकना भी पड़ सकता है। हालांकि मजीप्रा की ओर से बताया गया है कि जलसंकट की स्थिति में नागरिकों के लिए पानी आरक्षित रखा गया है। मजीप्रा के शाखा अभियंता अविनाश पालथे ने बताया कि शहर में जलापूर्ति के लिए डांगोरली से पानी दिया जा रहा है। शहरवासियों को प्रतिदिन 14 एमएलडी पानी की आवश्यकता होती है। आगामी दिनों में जलाशयों के जलस्तर में कमी होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। मजीप्रा की ओर से पुजारीटोला जलाशय में 10 एमएमक्यू पानी आरक्षित रखा गया है। जिससे शहरवासियों की प्यास बुझाई जाएगी। पुजारीटोला जलाशय में 70 फीसदी, सिरपुर जलाशय में 60 प्रतिशत, कालीसराड़ जलाशय में 42 फीसदी के आसपास व इटियाडोह जलाशय में लगभग 70 फीसदी जल संग्रहित है।