22 या 23 मार्च कब है कालाष्टमी, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Bhaskar Jabalpur
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डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के एक रूप काल भैरव की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस बार कालाष्टमी 22 मार्च को मनाई जा रही है। मान्यता है कि काल भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव के क्रोध से हुई थी। इसलिए इस तिथि को कालभैरव अष्टमी नाम से जाना जाता है।

कहा जाता है कि, काल भैरव भगवान तंत्र-मंत्र के देवता हैं। ऐसे में इस दिन का व्रत रखने से सभी नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं। यही नहीं, व्यक्ति को सुख-शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि….

शुभ मुहूर्त

तिथि आरंभ: 22 मार्च 2025, शनिवार की सुबह 4 बजकर 23 मिनट से

तिथि समाप्त: 23 मार्च 2025, रविवार की सुबह 5 बजकर 23 मिनट तक

पूजा का शुभ मुहूर्त: देर रात 12 बजकर 4 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक

पूजा विधि और लाभ

– भैरव बाबा की उपासना षोड्षोपचार पूजन सहित करनी चाहिए और रात्री में जागरण करना चाहिए।

– रात में भजन कीर्तन करते हुए भैरव कथा व आरती करने से विशेष लाभ मिलता है।

– भैरव अष्टमी के दिन व्रत और पूजा उपासना करने से शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है।

– इस दिन भैरव बाबा की विशेष पूजा अर्चना करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।

– इस तिथि पर श्री कालभैरव जी का दर्शन- पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

– काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठा भोजन कराना चाहिए।

– इस दिन काल भैरव के दर्शन करने से भूत पिशाच का डर खत्म हो जाता है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।