
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि को भाई दूज (Bhai Dooj) का पर्व मनाया जाता है। भाईदोज के साथ ही इस दिन चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है, जो इस बार 16 मार्च, रविववार को है। भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करने वाले इस पवित्र पर्व पर बहन अपने भाई को तिलक लगाकर आरती उतारती है और उसकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है। इस दिन को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि…
तिथि और मुहूर्त
द्वितीया तिथि प्रारम्भ: 15 मार्च 2025, शनिवार की दोपहर 2 बजकर 33 मिनट से
द्वितीया तिथि समाप्त: 16 मार्च 2025, रविवार की शाम 4 बजकर 58 मिनट तक
शुभ मुहूर्त: 16 मार्च की शाम 4 बजे तक
क्या है महत्व?
पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन स्वयं यम की बहन यमुना ने अपने भाई से वर मांगा था कि जो भी भाई इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद अपनी बहन के घर भोजन करता है उसको मृत्यु का भय ना रहे। इसलिए यह पर्व काफी खास माना जाता है।
पूजन विधि
– भाई दूज के दिन बहनें, भाई के तिलक और आरती के लिए थाल सजाएं।
– इस थाली में जरूरी सामग्री जैसे रोली या चंदन, कलावा, अक्षत, मिठाई, सुपारी, चांदी का सिक्का, केला आदि रखें।
– तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनाना चाहिए।
– चावल के इस चौक पर अपने भाई को बिठाएं।
– भाई का तिलक शुभ मुहूर्त में करें।
– तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें।
– इसके बाद भाई की आरती उतारें।
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