हेल्थ केयर वर्कर्स के संघर्षों को दर्शाती दिल को छू लेने वाली सीरीज है इमरजेंसी रूम

Bhaskar Jabalpur
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हमारे देश में, जनसंख्या के अनुसार नर्स सहित स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की काफी कमी है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कमी है. इस गंभीर और संवेदनशील विषय को छूती वेब सीरीज़ एमर्जेंसी रूम हेल्थ केयर स्टाफ की चुनौतियों को बड़े प्रभावी ढंग से दर्शाती है. दरअसल य़ह हमारे समाज के गुमनाम हीरो को एक सच्चा ट्रिब्यूट पेश करती है. इस शो में असली जीवन के नायकों का दिल को छू लेने वाला चित्रण है, जिनपर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता। य़ह एक ऐसा शो है जो हमारे समाज के खामोश योद्धाओं पैरा मेडिकल स्टाफ की जिंदगी ब्यान करता है।

इस शो की कहानी एक नर्स त्रिशा के इर्दगिर्द घूमती है जो एक बड़े अस्पताल में काम करती है. एक रात उसके पास बाईक एक्सीडेंट का एक गंभीर मरीज आता है. वह चोटिल मरीज की जान बचाने में लगी थी तभी रोगी के घबराए पिता त्रिशा पर चिल्ला देते हैं. फिर भी वह शांत रहती है कि उसे पता है कि डर गुस्से के रूप में बाहर आता है. इस बीच कहानी फ्लैश बैक मे और वर्तमान में दोनों पीरियड्स मे चलती रहती है. कैसे त्रिशा को नर्स बनने का, इसकी पढ़ाई करने का शौक होता है और फिर वह कैसे कई चुनौतियों का सामना करते हुए य़ह कोर्स करती है.

उसकी मां बोलती है “य़ह नर्स लोग खाने का डब्बा ले क्यों जाते हैं? इनके पास खाना खाने का टाइम तो नहीं होता. ऐसी नौकरी करनी ही क्यों है, जिसमें न अपने लिए टाइम हो न अपनों के लिए.”

फिर एक सीन मे माँ कहती है “बहुत शौक हुआ है तुझे हीरो बनने का, यही एक पढ़ाई करनी है तुझे, बहुत लोग हैं यह सब करने के लिए.”

लेकिन त्रिशा का जवाब नर्स स्टाफ की कमी की ओर संकेत करता है “बहुत लोग नहीं हैं करने के लिए.”

जब नर्सिंग क्लास के टीचर यह कहते हैं “हेल्थकेयर सिस्टम अगर एक विशाल पेड़ है तो नर्स इसकी जड़ हैं. दुनिया में किसी की जिंदगी बचाने से बेहतर एहसास कुछ हो ही नहीं सकता.”

शो में सभी ने शानदार अभिनय किया है. खासकर मुख्य भूमिका मे अलिशा परवीन ने त्रिशा को जिया है. उनका अभिनय वास्तविक लगता है.

शो की कहानी कहने का ढंग और इसका लेखन काबिल ए तारीफ है. कहानी मे वास्तविकता और ज़ज्बात के बीच खूबसूरती से संतुलन बनाए रखा गया है.

सीमित बजट के बावजूद य़ह सादगी और प्रामाणिकता के साथ पेश की गई एक असरदार कहानी है. य़ह इस बात का सबूत है कि एक बेहतर कहानी के लिए बड़े बजट की नहीं बल्कि सच्चे दिल की ज़रूरत होती है। ज़मीन से जुड़ी कहानी के लिए प्रोडक्शन डिज़ाइन प्रभावी है.

भावनात्मक रूप से एक जबर्दस्त शो आपको हेल्थकेयर के काम के मूल्य पर सोचने पर मजबूर भी करता है. बहुत रॉ और ईमानदार कोशिश है और दिल को छू लेने वाली सीरीज है.

पिछले कुछ वर्षो में देखी गई यह सबसे मजबूत चरित्र यात्रा नजर आती है. यह बहुत जरूरी सीरीज है जो पैरामेडिकल स्टाफ के संघर्षों को सबसे आगे लाती है। इस तरह की कहानियों को कहते रहना चाहिए।

शो के रचयिता व्योम चराया, अखिल सचदेवा और निर्देशक अखिल सचदेवा को सलाम कि उन्होंने इमरजेंसी रूम जैसी आंख खोलने वाली रियल किरदारों वाली सीरीज बनाई है. अभी सीरीज का पहला एपिसोड ही यूट्यूब रिलीज हुआ है जल्द ही बाक़ी एपिसोड्स भी रिलीज होंगे

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https://www.youtube.com/watch?v=Xb2Y_yiytuU