
Mumbai News. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. एन. श्रीकृष्ण ने गुरुवार शाम मुंबई प्रेस क्लब में पत्रकार नीता कोल्हटकर की किताब ‘द फियर्ड’ के विमोचन के दौरान कहा, ‘इस किताब को पढ़ने के बाद मुझे पता चला इसमें जो सच्चाई लिखी है, उसकी वजह से हम आज भी यह कहने से कतराते हैं कि हमारा लोकतंत्र महान है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं, दूसरे देशों में भी होता है। चाहे लोकतांत्रिक सरकार हो या साम्यवादी सरकार, वे एक कैदी की चुनौती को मान्यता नहीं देतीं।’ इस किताब में राजनीतिक और नक्सलवाद के आरोपों में जेल गए लोगों की कहानियां हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता असपी चिनॉय ने कहा, ‘जेल में रखने का उद्देश्य यह नहीं होता कि आपको सजा मिलनी चाहिए। सजा तो कोर्ट के आदेश के बाद मिलती है। उससे पहले कैदियों को इस तरह से रखना भी सही नहीं है।’ नाटककार-निर्देशक रामू रामनाथन ने कहा, ‘इस पुस्तक को पढ़कर यह बात खटकती है कि दुनिया के कानूनी विद्वान जो कुछ भी बताते हैं, उसके अतिरिक्त भी इस प्रकार के अनुभव का सामना करना पड़ता है।’ नीता कोल्हटकर ने कहा, ‘मैं खुश हूं की पत्रकार होने के नाते उन उन लोगों तक पहुंच सकी।’ कार्यक्रम का संचालन सनोबर केशवर ने किया।
नीता की किताब ‘फियर्ड’ में अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, दिवंगत नवाब मलिक के बेटी-दामाद निलोफर मलिक-समीर खान, प्रो. शोमा सेन की बेटी कोयल सेन, बरी होने वाले एकमात्र प्रशांत राही पत्रकार और उनकी बेटी शिखा राही, सांसद संजय राउत, मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम, लेखक आनंद तेलतुंबडे, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की पोती रमा आंबेडकर, डॉ. बिनायक सेन, कोबाड गांधी, के. मुरलीधरन वरवर राव की पत्नी पी. हेमलता की कहानी है।