
Jabalpur News: स्कूली बच्चों को डायबिटीज की बीमारी से बचाने के लिए अब स्कूलों में शुगर बार्ड की स्थापना की जाएगी। इसके लिए लोकशिक्षण संचालनालय ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अनुशंसा पर यह निर्णय लेते हुए समस्त स्कूलों के लिए आदेश जारी किए हैं। दरअसल पिछले दशक में बच्चों में टाइप-2 मधुमेह के मामलों में वृद्धि हुई है जो मुख्य रूप से पहले व्यस्कों में देखी जाती थी।
इस घातक बीमारी के लिए मुख्य रूप से बहुत अधिक मात्रा में चीनी का सेवन जिम्मेदार है जो अक्सर स्कूल और आसपास सरलता से उपलब्ध मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के उपयोग के कारण होता है। चीनी के अत्यधिक सेवन से न केवल मधुमेह का खतरा बढ़ता है बल्कि मोटापा, दांतों से संबंधित समस्या और अन्य पाचन संबंधी विकार भी होते हैं जो बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं।
आयोग ने इस समस्या के समाधान के लिए सभी स्कूलों में “शुगर बोर्ड’ स्थापित करने की अनुशंसा की है जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को अत्यधिक चीनी के सेवन के खतरों के बारे में शिक्षित करना है।
इन बोर्डों में अनुशंसित दैनिक चीनी सेवन, आमतौर पर खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा, चीनी की खपत, स्वास्थ्य जोखिम, स्वास्थ्य आहार विकल्पों के दीर्घकालिक लाभों के संबंध में जानकारी प्रदान करना है। बच्चों में बढ़ रही मधुमेह की समस्या के कारण एवं उपाय के संबंध में जागरूकता करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित करने की भी अनुशंसा की गई है।
संचालनालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों में टाइप-2 मधुमेह की बीमारी से बचाव के लिए अपने जिले के सभी स्कूलों के प्रमुखों को पत्र जारी कर स्कूल में “शुगर बोर्ड’ स्थापित करने एवं कार्यशालाओं के आयोजन के लिए निर्देशित करें। विद्यालयों द्वारा
प्रदर्शित “शुगर बोर्ड’ एवं आयोजित कार्यशालाओं की जानकारी 30 दिनों की समय-सीमा में अनिवार्यतः divyagupta.ncpcr@gov.in पर उपलब्ध कराया जाना है।
जागरूकता अभियान चलाया जाएगा
बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की मदद से बच्चों एवं अभिभावकों काे सचेत किया जाएगा। स्कूल प्रधान अध्यापकों एवं प्राचार्यों को इस अभियान से संबंधित दिशा-निर्देशों की जानकारी दी जा रही है।
– घनश्याम सोनी, जिला शिक्षा अधिकारी