सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में सीजेआई के शामिल होने पर उराष्ट्रपति ने उठाए सवाल, पुनर्विचार की मांग की

डिजिटल डेस्क, भोपाल। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में सीजेआई के शामिल होने पर सवाल उठाए है। साथ ही इस पर चर्चा करने को कहा है। उपराष्ट्रपति ने भोपाल में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में बोलते हुए कहा वैधानिक निर्देश के मुताबिक सीजेआई, सीबीआई निदेशक जैसे कार्यकारी नियुक्तियों में कैसे शामिल हो सकते हैं। धनखड़ ने मानदंडों पर फिर से विचार करने को कहा। साथ ही कहा मूल संरचना के सिद्धांत का एक बहुत ही बहस योग्य न्यायशास्त्रीय आधार है।

धनखड़ ने कहा सरकारें विधायिका के प्रति जवाबदेह होती हैं और समय समय पर वोटर्स के प्रति जवाबदेह होती हैं। उन्होंने आगे कहा अगर कार्यकारी शासन को दबा दिया जाता है या आउटसोर्स कर दिया जाता है, तो जवाबदेही लागू नहीं हो पाएगी।

उपराष्ट्रपति ने इस पर पुनर्विचार करने को कहा। इसके पीछे उन्होंने कहा वैधानिक निर्देश इसलिए बने क्योंकि तत्कालीन कार्यपालिका ने न्यायाययिक फैसले के आगे घुटने टेक दिए। यह निश्चित रूप से लोकतंत्र के साथ मेल नहीं खाता। सीजेआई को किसी कार्यकारी नियुक्ति में कैसे शामिल कर सकते हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा न्यायिक आदेश द्वारा कार्यकारी शासन एक संवैधानिक विरोधाभास है। जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। धनखड़ ने कहा सभी संस्थाओं को अपनी संवैधानिक सीमाओं के भीतर काम करना चाहिए। विधायिका या न्यायपालिका की ओर से शासन में कोई भी हस्तक्षेप संविधानवाद के विपरीत है।

उपराष्ट्रपति ने कहा लोकतंत्र संस्थागत अलगाव पर नहीं, बल्कि समन्वित स्वायत्तता पर पनपता है। निस्संदेह, संस्थाएं अपने-अपने क्षेत्रों में काम करते हुए योगदान देती हैं। न्यायपालिका द्वारा कार्यकारी शासन को अक्सर देखा जा रहा है और लगभग सभी क्षेत्रों में इस पर चर्चा की जा रही है। न्यायपालिका की सार्वजनिक मौजूदगी मुख्य रूप से फैसलों के जरिए होनी चाहिए। फैसले खुद बोलते हैं।