
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) का काफी महत्व बताया गया है, हालांकि इसे अशुभ समय के रूप में देखा जाता है। वैसे तो यह एक खगोलीय घटना है, लेकिन ज्योतिष दृष्टि से सूर्य ग्रहण के दौरान मायावी ग्रह राहु-केतु का प्रभाव पृथ्वी पर बढ़ जाता है। इसके लिए ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।
बता दें कि, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तब यह खगोलीय घटना घटित होती है। वहीं साल का पहला सूर्य ग्रहण चैत्र शुक्ल पक्ष की अमावस्या को लगने जा रहा है जो कि 29 मार्च दिन शनिवार को है। यह सूर्य ग्रहण आंशिक होगा। ये कहां और कब दिखाई देंगे और सूतक काल काल का क्या समय होगा? आइए जानते हैं…
सूर्य ग्रहण का समय
चैत्र मास की अमावस्या तिथि को सूर्य ग्रहण लगने वाला है, जो कि 29 मार्च, शनिवार को है। भारतीय समयानुसार इसकी शुरुआत दोपहर 2 बजकर 21 मिनट से होगी और समापन शाम 6 बजकर 14 मिनट पर। इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 53 मिनट की रहने वाली है।
सूर्य ग्रहण कहां देगा दिखाई
इस आंशिक सूर्य ग्रहण को ऑस्ट्रिया, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, बेल्जियम, बरमूडा, बारबाडोस, डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे, आयरलैंड, मोरक्को, ग्रीनलैंड, पूर्वी कनाडा,उत्तरी ब्राजील, हॉलैंड, पुर्तगाल, उत्तरी रूस, स्पेन, स्वीडन, पोलैंड, पुर्तगाल, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और पूर्वी अमेरिका में देखा जा सकेगा। हालांकि, भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा।
क्या भारत में लागू होगा सूतक काल?
चूंकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसनिए यहां इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के दौरान सूतक काल उन्हीं क्षेत्रों में मान्य होता है जहां इसे देखा जा सकता है। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका कोई प्रभाव देश में नहीं होगा।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।