सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की कमी की जांच के लिए कमेटी गठित की जाएगी – हसन मुश्रीफ

Mumbai News. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए जनप्रतिनिधियों की एक कमेटी गठित की जाएगी। यह कमेटी 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सदस्य काशीनाथ दाते ने इस संबंध में प्रश्न उठाया था। जिस पर जवाब देते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अस्पतालों के लिए आवश्यक दवाओं और उपकरणों की खरीद 2017-18 से सरकारी अस्पतालों में हाफकिन संस्था के माध्यम से की जा रही थी। उन्होंने कहा कि हाफकिन के माध्यम से दवाओं की खरीद के संबंध में कई शिकायतों के कारण साल 2023 में चिकित्सा सामान खरीद प्राधिकरण की स्थापना की गई और अब इस प्राधिकरण के माध्यम से दवाएं और मशीनरी खरीदी जा रही है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर उन्हें सरकारी अस्पतालों में दवाई नहीं मिलने की शिकायत मिल रही हैं। जिसके बाद दवाइयों की कमी की जांच के लिए कमेटी गठित की जाएगी। मुश्रीफ ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग ने 2017-18 से 2022-23 तक हाफकिन कॉरपोरेशन को 2653.77 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की थी। जिसमें से 1318.24 करोड़ रुपए खर्च किए गए जबकि 957.12 करोड़ रुपए हाफकिन ने सरकार को वापस कर दिए।

राज्य में पिछले एक साल में 20 हजार कुष्ठ रोग के मरीजों की संख्या बढ़ी- प्रकाश आबिटकर

राज्य के कुष्ठ रोगियों को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। कांग्रेस सदस्य नितिन राऊत ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कुष्ठ रोगियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार की तमाम पहल के बावजूद पिछले एक साल में कुष्ठ रोग के 20 हजार मरीज सामने आए हैं। जिस पर जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने कहा कि यह सच है कि कुष्ठ रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन सरकार ने अपनी जांच बढ़ा दी है जिसकी वजह से कुष्ठ रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार ने इन रोगियों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों के लिए प्रति कुष्ठ रोगी को दी जाने वाली सहायता राशि को बढ़ाकर 6 हजार 200 रुपये प्रति माह कर दिया है। भाजपा सदस्य मनीषा चौधरी ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र दहिसर में कुष्ठ रोगियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उन्हें रहने के लिए घर नहीं मिल रहे हैं। इस पर सरकार को नियंत्रण की जरुरत है। मंत्री आबिटकर ने इस पर उचित कार्रवाई की बात कही।