
Nagpur News. खापा वनपरिक्षेत्र अंतर्गत कोरमेटा क्षेत्र में सिरोंजी की सीमा में भनगाला नाले के पास बाघ का शिकार अंधश्रद्धा में जादू-टोना के लिए किए जाने का संदेह गहरा रहा है। बाघ की मूछें, दांत और पंजे गायब होने के कारण संदेह को बल मिल रहा है। वन विभाग की टीम मध्य प्रदेश के गांवों में आरोपियों को खोजने में जुटी है।
2019 में भी शिकार
वर्ष 2019 में रामटेक गढ़मंदिर परिसर में जादू-टोना के लिए बाघ का शिकार हुआ था। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के हलाल गांव से वन विभाग ने दफनाए गए बाघ के अवयव जब्त किए थे। इस प्रकरण में तीन आरोपी गिरफ्तार हुए थे। आरोपियों ने अंधश्रद्धा के चलते जादू-टोना के लिए बाघ का शिकार करने का जुर्म कबूल किया था।
आदिवासी गांवों में खोज
पुराने अनुभव से सबक लेकर वन विभाग की टीम मध्य प्रदेश के आदिवासी गांवों में खोज मुहिम चला रही है। चाकारा, सारदुनी, तोरणी, चौरेफाटा, राघादेवी गांवों में खोजी दल अभियान पर है।
10-15 की टोली में शिकारी
आदिवासी इलाकों में शिकारी 10-15 की टोली बनाकर जंगलों में घूमते हैं। बाघ का शिकार कर मूछें, दांत, पंजे जादू-टोना के लिए ले जाते हैं। बाघ के इन अवयवों का उपयोग शंकरपट में जीतनेवाले बैल को जादू-टोना करने, सट्टा-पट्टी के आंकड़ों का अनुमान लगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इन समुदायों के पास बंदूक के छर्रे, बंदूकें आज भी मिलती है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्र में महाराष्ट्र वनविकास महामंडल की ओर से काम चलते थे। दोनों राज्यों के दिहाड़ी मजदूर इनमें काम करते थे। काम बंद होने से बेरोजगार मजदूरों की मदद ली जाती है। इन्हें जंगल की पूरी जानकारी होती है।