शिशुओं के इलाज की नई तकनीकी पर हुआ मंथन

Jabalpur News: मध्य प्रदेश शिशु विशेषज्ञ अकादमी का राज्य स्तरीय वार्षिक अधिवेशन शुक्रवार को आरंभ हुआ। इस अधिवेशन के पहले दिन अलग-अलग विधाओं के नामी चिकित्सकों ने अलग-अलग तरह के वर्कशाॅप में कई प्रकार की बीमारियों और नई तकनीकी पर अपने विचार रखे। इन वर्कशाॅप को मेडिकल काॅलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग, आयुष्मान बाल चिकित्सालय और होटल गुलजार में आयोजित किया गया।

इनमें शिशुओं के इलाज की तकनीकी चिकित्सकों के बीच साझा की गई। शनिवार को इस अधिवेशन में देशभर से 600 से अधिक शिशु रोग विशेषज्ञ भाग लेंगे।

समय के साथ तकनीक में भी आ रहा है बदलाव

मेडिकल शिशु रोग विभाग के वर्कशाॅप में पीडियाट्रिक न्यूरो में डॉ. पवन घनघोरिया, डॉ. गौरी, पीडियाट्रिक कार्डियो में डॉ. सुवर्णा फडनीस, डॉ. प्रदीप दुबे, डॉ. दिव्य माथुर आदि ने विचार रखे।

शिशु गेस्ट्रो पर एक व्याख्यान में डॉ. अजय पाल, डॉ. मनीष तिवारी, डॉ. आशा तिवारी और मैकेनिकल वेंटिलेटर पर मध्य एशिया से आए डॉ. अरा वतन ने विचार रखे। अलग-अलग जगहों में आयोजित इन कार्यक्रमों में डॉ. मोनिका लाजरस, डॉ. अजय सराफ, डॉ. सोनिका अग्रवाल, डॉ. एससी जेठी, डॉ. राजेश टिक्कस, डॉ. गिरीश बुधरानी, डॉ. प्रदीप जैन, डॉ. पल्लवी, डॉ. विजय प्रताप सिंह, डॉ. कीर्ति जैन, डॉ. रवि फडनीस, डॉ. पीके मेहता सहित अनेक चिकित्सक उपस्थित थे।

जीवन रक्षक कौशल को सीखा

आयुष्मान बाल चिकित्सालय में नॉन इन्वेंसिव वेंटिलेशन (एनआईवी) के संबंध में देश भर से आए विभिन्न प्रतिष्ठित वक्ताओं ने नवजात शिशु की देखभाल, विशेष रूप से वेंटिलेशन और इसके जीवन रक्षक अनुप्रयोगों पर अपने अनुभव और विशेषज्ञता साझा की।

सत्र में कई चिकित्सकों ने भाग लिया, जो इन नवीनतम जीवन-रक्षक कौशल को सीखने और लागू करने की उम्मीद में दूरदराज के स्थानों से आए थे। कार्यक्रम के मुख्य विशेषज्ञ डॉ. सतीश देवपुजारी रहे। इस अवसर पर डॉ. मुकेश खरे, डॉ. राजीव बंसल, डॉ. जी श्रीनिवास नायडू, डॉ. आयुष खरे, प्रतीक जैन आदि उपस्थित थे।