
Nagpur News विदर्भ की धरती पर कई ऐतिहासिक और अनोखी परंपराएं देखने को मिलती हैं। ऐसी ही एक 250 साल पुरानी परंपरा नागपुर ग्रामीण तहसील के वाड़ी-खड़गांव मार्ग स्थित लावा गांव में आज भी जीवित है। रंगपंचमी के अवसर पर यहां आयोजित होने वाले सोनबा बाबा उत्सव में एक अद्भुत नजारा देखने को मिला-बिना बैलों के बैलगाड़ियां दौड़ने लगीं!
होकर रे होक… और दौड़ पड़ीं बैलगाड़ियां! : रंगपंचमी से एक दिन पहले रात 12 बजे सोनबा बाबा मंदिर में विधिवत पूजा और महाआरती की गई। परंपरा के अनुसार पांच बैलगाड़ियों को एक साथ जोड़ा गया। शाम 6 बजे, सबसे आगे की गाड़ी पर खड़े भगत देवनाथ गोरले और उनके करीब 100 अनुयायियों ने “होकर रे होक’ और “सोनबा बाबा की जय’ के नारों से माहौल गुंजायमान कर दिया। आश्चर्यजनक रूप से कुछ ही देर में बिना बैलों के गाड़ियां खुद-ब-खुद दौड़ने लगीं। यह चमत्कार देखकर उपस्थित श्रद्धालु दंग रह गए। विज्ञान के इस युग में बिना बैलों के बैलगाड़ियों के दौड़ने की घटना ने कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।
बड़ी संख्या में लोग हुए शामिल : सोनबा बाबा उत्सव में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे, जिनमें बड़ी संख्या में ससुराल से आई महिलाएं भी शामिल थीं। इस मौके पर गोरले परिवार के सदस्य और कमलेश हिरणवार, राजन हिरणवार, सरपंच ज्योत्सना नितनवरे, उपसरपंच रॉबिन शेलारे, पूर्व जिला परिषद सदस्य सुजीत नितनवरे, कृषि उपज बाजार समिति के संचालक महेश चोखंड्रे, ग्राम पंचायत सदस्य रामेश्वर ढवले, संतोष शेंडे, पांडुरंग बोरकर आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।