मेडिकल कॉलेज के जलापूर्ति में प्रशासनिक मंजूरी का रोड़ा

Shahdol News: शासकीय मेडिकल कॉलेज में अभी जल संकट का निवारण होते नहीं दिख रहा है। विगत दिनों प्रवास पर पहुंचे प्रदेश के डिप्टी सीएम व जिले के प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ला द्वारा मेडिकल कॉलेज में पानी की उपलब्धता बनाने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद पीएचई विभाग द्वारा करीब 50 लाख रुपए का स्टीमेट तैयार किया गया। स्टीमेट के अनुसार कार्य करने की प्रक्रिया के तहत प्रशासनिक मंजूरी जरूरी है, जिसके लिए प्रयास तो किए जा रहे हैं, लेकिन पूरी नहीं हो पाई है।

इसके पूर्व पीएचई विभाग द्वारा तीन की संख्या में बोर करा दिए गए, लेकिन पैसों के अभाव में मोटर नहीं लगाए जा सके। दो चरणों के स्टीमेट में मोटर लगाना और नया भूमिगत स्टोरेज का निर्माण कराया जाना है। दोनों मिलाकर 50 लाख का कार्य निविदा के बाद ही कराया जा सकता है। बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन की ओर से अभी तक मंजूरी नहीं दी गई है, जिससे टेंडर आदि की प्रक्रिया नहीं हो पा रही है।

कहा जा रहा है कि समूची प्रक्रिया में एक से डेढ़ माह का समय लग सकता है। तब तक तो गर्मी ही बीत जाएगी। उधर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा टैंकर मंगाकर मरीजों को पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। कमिश्नर की फटकार के बाद नगरपालिका पैसों में टैंकर देने को तैयार हुआ, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र का बहाना बताकर पहले मना कर दिया गया था।

तलाशना होगा स्थायी समाधान

नागरिकों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में जल संकट को दूर करने के लिए स्थायी समाधान तलाशना होगा। इसके लिए सरफा अथवा सोन नदी से सीधे सप्लाई की व्यवस्था करनी होगी। पूर्व में 57 लाख की लागत से पाइप लाइन बिछाया गया, लेकिन नगरपालिका की हठधर्मिता के चलते कनेक्शन नहीं जोड़ा जा सका।

लोगों का कहना है कि नगरपालिका में बैठे लोगों को मेडिकल कॉलेज की समस्या से कोई लेना देना नहीं है, जबकि वह खुद मिठौरी जलाशय पर निर्भर हो चुका है।