मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे फेरी वालों के लाउडस्पीकर, साइलेंट जोन तक की परवाह नहीं

Jabalpur News: सब्जी और फल के ठेलों पर पोर्टेबल लाउडस्पीकर रखकर अपना सामान तो बेचा जाता है लेकिन इस तरह के तरीकों से जनता परेशान हो रही है। ऐसे ठेले वाले जब किसी घर के सामने खड़े हो जाएँ तो आदमी इनकी एक ही तरह की आवाज को बार-बार सुनकर बेचैन हो जाता है। कई बार तो घर के बाहर ठेले वाले को टोकना पड़ता है कि स्पीकर तो थोड़ा धीमा कर लें।

शहर में बस्तियों से लेकर काॅलोनी और पॉश इलाका हो या फिर भरा बाजार, सभी हिस्सों में इनकी वजह से शोर-शराबे की स्थिति निर्मित हो रही है। इनमें नियम तो यही कहता है कि चालानी कार्रवाई होनी चाहिए। काेलाहल एक्ट के तहत इनकी जब्ती भी की जानी चाहिए, पर शहर में इन पर आज तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई जिससे लोगों को राहत नहीं मिल रही है। इंदाैर निगम प्रशासन ने पिछले दिनों सख्ती के साथ फेरीवाले ठेलों से स्पीकर हटावाया पर जबलपुर शहर में तो ऐसा लगता है जैसे जनता को मानसिक प्रताड़ना देने के लिए इनको खुला छोड़ दिया गया है।

एक साथ शोर बेचैन कर देता है

अवकाश का दिन या फिर सामान्य दिनों में शहर के मध्य हिस्से का कोई बाजार हो या फिर कैंट, राँझी और गढ़ा का बाजार कहीं भी इन ठेलों पर रखे लाउडस्पीकर की वजह से चैन नहीं मिल सकता। हालात यहाँ तक बनते हैं कि जब कई ठेले वाले एक साथ खड़े होकर लाउडस्पीकर चालू कर देते हैं तो एकदम परेशान और चिड़चिड़ाहट पैदा कर देने वाला हल्ला होता है। विशेष बात यह है कि नगर निगम के सामने और हाई कोर्ट रोड में साइलेंस जोन में भी यह शोर मचा रहे हैं।

हर तिराहे और चौराहे में इनका कोहराम

हाई कोर्ट चौराहा, नगर निगम के सामने, करमचंद चौक, गोरा बाजार, दीन दयाल चौक, माढ़ोताल, छोटी लाइन फाटक, गुलौआ चौक, बिरसा मुंडा तिराहा, गोहलपुर चौराहा, गुलौआ चौक, धनवंतरी नगर, अंधमूक चौराहा, माल गोदाम चौराहा, त्रिपुरी चौक, मेडिकल तिराहा, मदन महल चौक, गौतम जी की मढ़िया तिराहा, इंदिरा मार्केट आदि ऐसे दर्जनों चौराहें-तिराहे हैं जहाँ पर इन सब्जी के ठलों में लाउडस्पीकर को रखकर जनता को परेशान किया जा रहा है।

ऐसे लाउडस्पीकर सेहत के लिए भी हानिकारक

ध्वनि प्रदूषण को मापने का पैमाना डेसिबल होता है। सामान्य तौर पर आप और हम जो बातचीत करते हैं वो 60 डेसिबल के आस-पास होती है। इससे ऊपर की आवाज को लगातार सुनना ध्वनि प्रदूषण के दायरे में आता है। ऐसे छोटे लाउडस्पीकर लगातार 80 डेसिबल से लेेकर 100 डेसिबल तक की आवाज पैदा करते हैं। ये हृदय के मरीज व अन्य मर्ज से जूझ रहे व्यक्ति से लेकर सामान्य व्यक्ति तक के लिए हानिकारक है। एक्सपर्ट के अनुसार 100 डेसिबल की आवाज को 15 मिनट तक लगातार सुनने से आपके कान हमेशा के लिए खराब हो सकते हैं। इस तरह छोटे लाउडस्पीकर लोगों के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर रहे हैं।

सड़क भी जाम कर रहे

सब्जी, फल के ठेले वाले शोर तो मचाते ही हैं, साथ ही अब कई चौराहों में इनके द्वारा सीधे अस्थाई कब्जे कर लिए गए हैं। कोलाहल के बीच ट्रैफिक पर असर है, तो इन ठेलों के आसपास जो स्थाई दुकान मालिक हैं वह भी इनसे परेशान हैं। कई लिहाज से पोर्टेबल लाउडस्पीकर मुसीबत का कारण बना हुआ है। जब सड़कों में भीड़ होती है, वाहनों का शोर होता है, उस दौरान इनकी वजह से समस्या और बढ़ जाती है।

कुछ क्षेत्रों में ठेले वाले लाउडस्पीकर लगाकर कब्जा कर भी परेशानी पैदा कर रहे हैं। इन पर नगर निगम नियम के तहत जल्द कार्रवाई करेगा। जनता के लिए जो परेशानी बने हैं ऐसे कब्जे हम लगातार हटा रहे हैं।

– सागर बोरकर, सहायक अतिक्रमण अधिकारी