
प्रयागराज, 13 फरवरी: पवित्र महा कुंभ के आध्यात्मिक वातावरण में डॉ. वैदेही तामण की नवीनतम पुस्तक Monastic Life: Inspiring Tales of Embracing Monkhood का भव्य विमोचन महामंडलेश्वर डॉ. उमाकांतानंद सरस्वती जी महाराज एवं अन्य प्रतिष्ठित संतों द्वारा किया गया। इस विशेष अवसर पर अनेक पूज्य संतों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इसे आध्यात्मिक साहित्य के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक क्षण बना दिया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर आहतोषानंद गिरी महाराज भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
पुस्तक का अनावरण करते हुए महामंडलेश्वर डॉ. उमाकांतानंद सरस्वती जी महाराज ने इसे “असाधारण आध्यात्मिक यात्राओं का एक सुंदर चित्रण” बताया। उन्होंने पुस्तक की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा,
“यह ग्रंथ यह दर्शाता है कि आध्यात्मिक नेतृत्व के निर्माण में शिक्षा की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह मार्गदर्शन करता है कि संन्यास मार्ग पर अग्रसर होने से पहले ज्ञान और समझ का होना आवश्यक है। यह पुस्तक उन सभी के लिए पठनीय है, जो प्रेरणा और जीवन के उच्च उद्देश्य की खोज में हैं।”
महामंडलेश्वर आहतोषानंद गिरी महाराज का संदेश
महामंडलेश्वर आहतोषानंद गिरी महाराज ने Monastic Life पुस्तक के विमोचन के अवसर पर लेखिका डॉ. वैदेही तामण की इस अनूठे विषय पर लिखने की अटूट प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा,
“मैं स्वयं द्वि-स्नातक हूँ और आध्यात्मिक ज्ञान के संप्रेषण एवं अनुसंधान में औपचारिक शिक्षा के महत्व को भली-भांति समझता हूँ। आध्यात्मिक मार्ग पर सीखने की कोई सीमा नहीं है, लेकिन जो लोग गुरु परंपरा और औपचारिक शिक्षा के माध्यम से इस मार्ग पर चलते हैं, वे ज्ञान को अधिक गहराई और स्पष्टता के साथ आत्मसात कर पाते हैं। आध्यात्मिक पथ अत्यधिक विवेक, समझ और ज्ञान की माँग करता है।”
पुस्तक की लेखिका का दृष्टिकोण
जब पुस्तक की लेखिका डॉ. वैदेही तामण से पूछा गया कि इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा उन्हें कहाँ से मिली, तो उन्होंने कहा,
“मेरी अपनी आध्यात्मिक यात्रा ने मुझे यह सोचने पर मजबूर किया कि कोई संन्यासी जीवन क्यों चुनता है और यह जीवन की धारणा को कैसे बदल देता है। जीवन केवल भौतिक संसार तक सीमित नहीं है, बल्कि उससे परे भी एक गहरी सच्चाई है। मैं अक्सर सोचती थी कि उच्च शिक्षित डॉक्टर, इंजीनियर और आईआईटीयन सब कुछ त्यागकर आध्यात्मिक मार्ग क्यों अपनाते हैं। धीरे-धीरे मुझे अपने उत्तर मिल गए। यह पुस्तक युवाओं के लिए है ताकि वे संन्यासी जीवन को समझ सकें, क्योंकि आजकल यह जीवनशैली काफी आकर्षक होती जा रही है।”
पुस्तक के बारे में
Monastic Life उन व्यक्तियों की परिवर्तनकारी यात्राओं को उजागर करती है, जिन्होंने सांसारिक सफलता के उच्चतम शिखर तक पहुँचने के बावजूद, अपने भीतर एक गहरे उद्देश्य और सत्य की खोज महसूस की। इस अंतहीन जिज्ञासा और आत्मबोध की प्यास ने उन्हें भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर संन्यासी जीवन की सादगी और गहराई को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
डॉ. वैदेही तामण ने इस पुस्तक में आध्यात्मिकता, विशेष रूप से संन्यास (त्याग) के मार्ग का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है, जो आधुनिक जीवन की जटिलताओं के बीच स्पष्टता और शांति प्राप्त करने का एक सशक्त साधन है। अपनी व्यक्तिगत आध्यात्मिक यात्रा से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने इस पुस्तक में अपने गुरु के अनमोल उपदेशों का उल्लेख किया है और यह बताया है कि उनका परिवर्तन कोई त्वरित निर्णय नहीं था, बल्कि यह एक सचेत और क्रमिक प्रक्रिया थी, जो आंतरिक शांति की ओर अग्रसर थी। उन्होंने यह भी दर्शाया कि संन्यास जीवन की कठिनाइयों से बचने का साधन नहीं है, बल्कि यह एक सार्थक और प्रामाणिक जीवन शैली की ओर पुनर्निर्देशन है।
यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद जैसे आध्यात्मिक महापुरुषों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करती है, जिन्होंने सांसारिक जीवन को त्यागकर गहन ज्ञान और आत्मबोध प्राप्त किया। डॉ. तामण का तर्क है कि शिक्षा और व्यावसायिक उपलब्धियाँ आध्यात्मिक उन्नति में बाधा नहीं हैं; बल्कि वे गहन आत्मविश्लेषण और उच्च सत्य की खोज के लिए उत्प्रेरक का कार्य करती हैं।
प्रेरणादायक कथाओं के माध्यम से Monastic Life उन युवाओं की गाथा प्रस्तुत करती है, जो शिक्षित और जागरूक होते हुए भी त्याग के मार्ग की ओर आकर्षित हो रहे हैं, एक ऐसे जीवन की तलाश में, जो उद्देश्य, शांति और आध्यात्मिक पूर्णता से परिपूर्ण हो। यह पुस्तक पाठकों को यह विचार करने के लिए आमंत्रित करती है कि भौतिक सफलता की क्षणभंगुरता से परे भी एक विस्तृत और शाश्वत शांति की अनुभूति संभव है, जिसे आत्मबोध के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।