महाकुंभ मेले में स्वच्छता को लेकर NGT हुई सख्त, यूपी सरकार से मांगा खुले में शौच और प्रदूषण को लेकर जवाब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रयागराज महाकुंभ अपने आखिरी चरण में पहुंच गया है। अब तक इस आयोजन में करोड़ों लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है जिसका सिलसिला अभी भी जारी है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने से पॉल्यूशन के साथ-साथ शौचालय को लेकर भी कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादा शौचालय ना होने की वजह से लोगों को खुले में शौच करना पड़ रहा है। जिसको लेकर अब एनजीटी सख्त रुख अपना रहा है। 

यूपी सरकार को जारी किया है नोटिस

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की तरफ से यूपी सरकार, प्रयागराज मेला प्रधिकरण और उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया है। जिसकी सुनवाई 24 फरवरी को होगी। 

सरकार पर लगाए गए आरोप

एनजीटी में दायर याचिका में कहा गया है कि, लाखों लोग और परिवार पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में गंगा नदी के किनारे खुले में शौच करने को मजबूर हैं। यूपी सरकार कुंभ मेला स्थल पर स्वच्छता सुविधाओं की खराब व्यवस्था के कारण बड़े पैमाने पर प्रदूषण को रोकने में विफल रही है। याचिका में आगे कहा गया है कि, कुंभ में स्थापित किए गए 1.5 लाख शौचालय भारी संख्या में आने वाले लोगों की जरूरतों के लिए कम पड़ रहे हैं। इसके अलावा स्वच्छता सुविधाओं को पूरा करने में विफल रहने के लिए यूपी सरकार से 10 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा गया है। 

क्या होता है एनजीटी?

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) पर्यावरण से जुड़े मामलों पर ध्यान देने और उनको निपटाने वाली एक विशेष संस्था है। एनजीटी को पर्यावरण अदालत भी कहा जाता है। 18 अक्टूबर 2010 में एनजीटी की स्थापना की गई थी। इसके बाद अक्टूबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को एक ‘विशिष्ट’ मंच के रूप में घोषित करते हुए कहा था कि, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल देश भर में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए संज्ञान ले सकता है और सवाल भी पूछ सकता है।