
Bhandara News गोसीखुर्द प्रकल्पग्रस्तों को पिंडकेपार (पुराना गांव) में लाभार्थियों को जमीन का मुआवजा मिला किंतु गांव के पुनर्वसन को लेकर निर्णय के लिए ग्रामवासियों को प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। प्रकल्पग्रस्त नागरिक नए गांव बेला में भूखंड मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हंै। जिला परिषद सदस्य यशवंत सोनकुसरे के प्रयासों से जल्द ही एक माह के भीतर 55 परिवारों को भूखंड मिलेंगे। किंतु 32 परिवारों की भूखंड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
पिंडकेपार प्रकल्पग्रस्तों के लिए भूखंड नहीं मिले। जिसे लेकर सरकार से बार-बार पत्र व्यवहार किया गया था। पिंडकेपार गांव के मूल निवासी प्रकल्पग्रस्तों का जन्मस्थान यही है। यहां के घर एवं खेती गोसीखुर्द प्रकल्प के तहत संपादित की गई। जिसका मुआवजा भी मिला है। किंतु प्रकल्पबाधित लाभार्थियों को मई 2015 में भूखंड वितरित किया गया। उसके पश्चात अब 55 परिवारों को करीब एक माह के भीतर भूखंड वितरित होंगे। जिसके लिए बार-बार उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है। पुनर्वसन विभाग से भी पत्र व्यवहार किया गया। नौकरी या किसी कारणवश बाहर गए व्यक्ति भी लाभ से वंचित रह गए। ऐसे 32 परिवारों को फिर से भूखंड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। जिससे प्रकल्पग्रस्तों का नुकसान हुआ है।
लाभार्थी प्रकल्पग्रस्तों को भूखंड दिए जाएं :मांग को लेकर कितनी ही बार जिलाधिकारी को ज्ञापन सौपे किंतु भूखंड वितरण की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। रूपचंद साठवणे, हिरामन दिवटे, दिलीप साठवणे, सिंधुबाई साकुरे, मधू साठवणे, पुष्पा मडावी, सेवकाराम साठवणे, श्रावण साठवणे, देवराम साठवणे समेत अन्य प्रकल्पग्रस्तों ने जल्द से जल्द भूखंड मिले इस लिए प्रशासन से अनुरोध किया है।
भूखंड के लिए कर रहे संघर्ष 15 जून 2023 को सचिव स्तर पर जो व्यक्ति प्रकल्पग्रस्त है उनके लिए मार्गदर्शक सूचनाएं मंगवाई गई। दो वर्ष बीत जाने के पश्चात भी वरिष्ठों से रिपोर्ट नहीं मिली। जिसके कारण प्रकल्पग्रस्तों को भूखंडों से वंचित रहना पड़ा है। आज भी भूखंडों के लिए उनका संघर्ष जारी है।