बरमूडा, लोअर, जींस, स्कर्ट, शॉर्ट्स जैसी वेस्टर्न ड्रेस पहनकर नहीं जा सकेंगे मंदिर के भीतर

Amravati News अंबादेवी, एकवीरा देवी, कालीमाता मंदिर, तपोनेश्वर, बालाजी मंदिर समेत जिले के 22 से अधिक बड़े मंदिरों में बरमूडा, लोअर, जींस, स्कर्ट, शॉर्ट्स जैसी वेस्टर्न ड्रेस पहनकर प्रवेश बंद किया गया है। हिन्दू जनजागृति समिति अंतर्गत महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की पहल से मंदिर की पवित्रता कायम रखने और भारतीय संस्‍कृति रक्षणार्थ वस्त्रसंहिता (ड्रेस कोड) लागू किया गया है। आगामी दिनों में जिले में ड्रेस कोड लागू होने वाले मंदिरों और तीर्थस्थलों की संख्या 100 पार होगी। ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति के जिला समन्वयक नीलेश टवलारे ने बताया। महाराष्ट्र मंदिर महासंघ द्वारा सभी मंदिरों के लिए वस्त्र संहिता नामक ड्रेस कोड प्रस्तावित किया है। जिसके तहत अब तक राज्य के 528 से अधिक मंदिरों और तीर्थस्थलों ने पहले ही इसे अपना लिया है।

कई राज्यों तथा विदेशी मंदिरों में भी वस्त्र संहिता लागू करने का सराहनीय निर्णय लिया जा रहा है। यह ड्रेस कोड मंदिरों में आने वाले भक्तों को ऐसे कपड़े पहनने से रोकता है जिन्हें अशोभनीय माना जाता है। नागपुर, अमरावती, जलगांव, अहिल्यानगर, मुंबई, ठाणे, सतारा, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, सोलापुर, कोल्‍हापुर जैसे कई जिलों के मंदिरों में वस्त्र संहिता पहले ही लागू की जा चुकी है। वस्त्र संहिता का कठोरता से पालन किया जा रहा है ।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नहीं, धर्म के आचरण को महत्व दिया है : मंदिरों में वेस्टर्न संस्कृति के वस्त्र पहन कर जाने से भारतीय संस्‍कृति के बारे में गलत विचार समाज में पहुंचता है। ढीले कपड़े या गैर-पारंपरिक पोशाक में भगवान के दर्शन के लिए मंदिरों में जाना व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं हो सकती । प्रत्येक व्यक्ति को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता है कि घर पर तथा सार्वजनिक स्थानों पर क्या पहनना है, लेकिन मंदिर एक धार्मिक स्थल है। जहां धर्मानुसार आचरण होना चाहिए। वहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नहीं, धर्म के आचरण का महत्व होता है । इन सब पर विचार करने के उपरांत ही मंदिर प्रबंधन समिति ने यह निर्णय लिया । अब से मंदिर की पवित्रता बनी रहेगी तथा संस्कृति को संरक्षित करने में सहायता होगी।