पीपराज के ग्रामीण जान जोखिम में डालकर हर रोज सिर पर ढोते हैं पानी

Chhindwara News: पानी के लिए हर रोज ग्रामीण मौत से जंग करते हैं। बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग खतरों के बीच रेलवे पटरी पार कर सिर पर पीने का पानी ढोने मजबूर हैं। ग्राम पंचायत से यह गांव13 किलोमीटर दूर होने के कारण यहां घरों तक पाइप लाइन का विस्तार नहीं हो पाया है। 180 की आबादी वाले इस गांव के रहवासी पेयजल की व्यवस्था बनाने की मांग कर रहे हैं।

गौरतलब है कि परासिया ब्लॉक के ग्राम पंचायत चरई का गांव पिपराज जो कि पंचायत से करीब 12 की दूरी पर स्थित है। यहां के रहवासियों के लिए घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने कोई व्यवस्था नहीं की गई। कुएं और हैंडपम्प पर निर्भर इस गांव में अब सूखा पड़ गया है। इकलहरा ओसीएम के संचालन से यहां के जल स्त्रोतों का जलस्तर गिरता जा रहा है। कभी-कभी तो पानी पीने योग्य ही नहीं बचता। हैंडपम्प और कुआं सूखने के कारण ग्रामीण डेढ़ किलोमीटर दूर रेलवे पटरी पार कर एक निजी कुएं से सिर पर पानी ढोने मजबूर हैं।

सूख गए हैं गांव के हैंडपम्प, कुएं

ग्रामीण संतराम पवार, शकुन पवार, पप्पू उईके सहित अन्य का कहना है कि इस इलाके में ओपन कास्ट माइंस के संचालन से जल स्त्रोतों का भूजल स्तर गिर गया है। गांव के हेंडपम्प और कुएं का पानी गर्मी में सूख जाता है। साल भर ही ग्रामीण डेढ़ किलोमीटर दूर शांता बाई के कुंए से पानी सिर पर ढोते हैं। इसके लिए रेलवे पटरी पार करनी पड़ती है। यहां भी कुछ दिनों का ही पानी बचा है।

फैक्ट फाइल

{ १८० की आबादी वाला गांव पिपराज

{ ओपन कास्ट माइंस की वजह से स्त्रोतों का जल स्तर नीचे गिर गया।

{ पंचायत से १२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह गांव

{ साल भर डेढ़ किमी दूर रेलवे पटरी पार कर सिर पर ढोते हैं पानी

इन इलाकों में भी गहरा रहा जल संकट

{ नजरपुर में ८ दिन में एक बार एक घंटे मिल रहा पानी।

{ पालाचौरई में पाइप लाइन विस्तार नहीं हुआ, टेंकर कबाड़ में पड़े हैं।

{ अंबाड़ा, इकलहरा, भाजीपानी, भमोड़ी और जाटाछापर में ४ दिनों में १ बार सप्लाई।

{ उमरेठ में ४ दिनों में १ बार सप्लाई।