
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की लोकसभा में आज वन नेशन, वन इलेक्शन वाले बिल को पास कर दिया गया है। जिसके बाद अब जेपीसी में विस्तार से चर्चा की जाएगी। इस बिल को 17 दिसंबर को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की तरफ से पेश किया गया था। जिसके बाद ये सवाल सामने आ रहा है कि, अगर किसी भी राज्य की सरकार गिरती है तो, कैसे वन नेशन, वन इलेक्शन काम करेगा। ऐसी परिस्थिति में क्या किया जाएगा।
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल
एनडीए गठबंधन की तरफ से आज लोकसभा शीतकालीन सत्र में इस वन नेशन वन इलेक्शन के बिल को पेश किया था। जिसको पास कर दिया गया है। लेकिन राज्य सरकार गिरने पर कैसे काम करेगा ये वन नेशन, वन इलेक्शन।
राज्य सरकार गिरने पर क्या होगा?
वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक में कई तरह के प्रावधान किए गए हैं। जिसमें एक प्रावधान ये भी है कि, अगर किसी भी कारणवश सरकार गिरती है, तो उस राज्य में दोबारा मध्यावधि चुनाव कराएं जाएंगे। लेकिन नई विधानसभा का कार्यकाल केवल अगले लोकसभा चुनाव तक ही होगा। विधेयक में चुनाव आयोग को भी निर्देश दिए गए हैं कि, चुनाव कराने से पहले ही सारी जरूरतों को पूरा करना पड़ेगा। इलेक्शन कमीशन को ईवीएम और वीवीपैट का इंतजाम भी पहले से ही करके रखना पड़ेगा।
विधेयक में क्या है?
विधेयक में लिखे हुए प्रावधानों के अनुसार, अगर लोकसभा या विधानसभा को बीच में ही रोकना पड़ेगा तो, मध्यावधि चुनाव पांच साल में बाकी बचे हुए समय के लिए ही करवाया जाएगा। विधेयक के आर्टिकल 82 (A), 172 और 327 को शामिल करने का भी प्रस्ताव है। 82 (A) में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव कराने का प्रावधान है। विधेयक में ये भी कहा गया है कि, आम चुनाव होने के बाद राष्ट्रपति ही ऐलान करेंगे कि एक साथ चुनाव कब से शुरू होंगे। मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2029 के लोकसभा चुनाव पहले की ही तरह कराए जाएंगे। इसके बाद वन नेशन, वन इलेक्शन को लागू किया जाएगा।