
Chandrapur News आदमखोर टी 87 वाघ वनविभाग को निरंतर चकमा दे रहा है जिससे इस बाघ को पकड़ने वनविभाग को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कभी बफर में तो कभी प्रादेशिक में इसके लोकेशन मिल रहे हैं जिससे वनविभाग को बड़ी समस्या निर्माण हुई है।
टी 87 बाघ कहा गया ऐसा पूछने की नौबत वनविभाग पर आ रही है। इस बाघ के लिए दोनों क्षेत्र मिलकर 70 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं। मूल तहसील के बफर और प्रादेशिक वन क्षेत्रों में बाघों का बड़े पैमाने पर विचरण है। अन्य वन्य प्राणियों की संख्या भी अधिक है। इनमें बाघ टी-87 और बाघिन टी-83 ने मूल तहसील में आतंक मचा रखा था। इसलिए वन विभाग समेत राजनीतिक दलों ने वरिष्ठ अधिकारियों से मांग की थी कि आदमखोर बाघ को पिंजरा बंद करें। वन विभाग के वरिष्ठ स्तर से पारित आदेश के मुताबिक दो बाघों टी-83 और टी-87 को कैद करने के आदेश दिए गए थे। इनमें से आदमखोर बाघ टू-83 को वन विभाग पिछले सितंबर में पकड़ने में कामयाब रहा था। हालांकि, वन विभाग टी-87 बाघ को लगातार नजरअंदाज कर रहा है।
लगभग एक महीना हो रहा बाघ निशी टी-87 को पकड़ने के लिए वन विभाग पूरी ताकत और रणनीति अपना रहा है। इसके लिए बफर और प्रादेशिक वन विभाग के जंगलों में 70 से ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं। रोजाना सत्तर कैमरे चेक किए जा रहे हैं। कभी इस बाघ की लोकेशन बफर में तो कभी प्रादेशिक में दिखाई देती है। जहां भी लोकेशन दिखाई दे रहा है, उस जगह पर वन विभाग के कर्मचारी और पूरी टीम जेरबंद करने की तैयारी कर रही है। लेकिन टी 87 बाघ चकमा देने से वनकर्मचारी निराश हो रहे हैं। वन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि बाघ टी-87 बहुत बुद्धिमान है। टी-87 बाघ ने चिचला, दहेगांव, डोनी, जनाला इलाके में किसानों और चरवाहों को मार डाला है। बफर के कारवा इलाके में बैल को मारने के बाद टी-87 दोबारा उस इलाके में नहीं दिखा।