डॉक्टर को हिंदी नहीं आती तो रेलकर्मियों का क्या दोष

Shahdol News: रेलवे के कर्मचारी परेशानी लेकर रेलवे अस्पताल पहुंचते हैं तो उन्हे अपनी पीड़ा से ज्यादा इस समस्या से जूझना पड़ता है कि यहां पदस्थ डॉक्टर को हिंदी नहीं आती। डॉक्टर मरीजों की परेशानी नहीं समझते तो रेलवे के कर्मचारियों का क्या दोष।

रेलवे चिकित्सालय में ऐसी ही परेशानियों को लेकर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मजदूर संघ शाखा शहडोल द्वारा उप मंडलीय रेलवे चिकित्सालय के सामने धरना प्रदर्शन किया गया। धरना प्रदर्शन उपरांत कर्मचारियों ने अस्पताल चिकित्सक को ज्ञापन सौंपा और समस्या दूर करने की मांग रखी। चिकित्सकों ने समस्या को बिलासपुर भेजकर निदान की बात कही।

कर्मचारियों ने बताई ये समस्याएं

>> तबियत बिगडऩे पर विभाग के अधिकारी को सूचना दी जाती है और परीक्षण के लिए अस्पताल आने पर यह कह दिया जाता है कि तबियत को खराब ही नहीं है। यहां के डॉक्टर तबियत बिगडऩा तभी मानते हैं जब किसी का खून निकल रहा हो। पेट दर्द, बुखार को डॉक्टर को परेशानी नहीं मानते।

>> शहडोल अस्पताल में एक्स-रे मशीन और टेक्नीशियन रखने की मांग लगातार की जा रही है पर बिलासपुर के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

>> रेलवे प्रबंधन द्वारा शहडोल के जिन दो निजी अस्तपालों के साथ अनुबंध किया गया है, वहां रेलवे कर्मचारियों ने मनमाफिक पैसे लिए जाते हैं। जो इलाज नि:शुल्क मिलनी चाहिए, उसके एवज में भी पैसे लिए जा रहे हैं।

>> रेलवे अस्पताल में दवाओं की कमीं आम समस्या बन गई है। इसे दूर करने में लगातार लापरवाही बरती जा रही है।