टॉप कोर्ट का बड़ा फैसला, वर्क प्लेस पर सीनियर्स की डांट-फटकार अपराध नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े फैसले में कहा कि वर्क प्लेस पर सीनियर्स की डांट-फटकार अपराध नहीं है। उस पर आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती है। टॉप कोर्ट ने कहा कि ऐसे केस को अपराध के दायरे में लाने पर गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में ऑफिस में अनुशासनहीनता पैदा हो सकती है। अनुशासनपूर्ण माहौल प्रभावित हो सकता है। फटकार कार्यस्थल से संबंधित अनुशासन और कर्तव्यों के निर्वहन से जुड़ी हो तो इसे जानबूझकर किया गया अपराध नहीं मान सकते है। कोर्ट ने कहा जो व्यक्ति कार्यस्थल पर प्रबंधन करता है, वह अपने जूनियर से अपने पेशेवर कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और समर्पण से निभाने की उम्मीद करेगा।

शीर्ष कोर्ट ने ये सब 2022 के एक केस को रद्द करते हुए कही। राष्ट्रीय मानसिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान के कार्यवाहक निदेशक पर एक असिस्टेंट प्रोफेसर को अपमानित करने का आरोप था। इस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि निदेशक ने उसे अन्य कर्मचारियों के सामने डांटा और फटकारा था।

शीर्ष कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल और संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि केवल अपशब्द, असभ्यता, बदतमीजी या अभद्रता को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 504 के तहत जानबूझकर अपराध नहीं माना जा सकता है। धारा 504 IPC में शांति भंग करने के इरादे से अपमान करने का प्रावधान है। इसके तहत दो साल तक की सजा हो सकती है। इसे अब जुलाई 2024 से भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 352 के तहत बदल दिया है।