
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज पूरे देश में गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। इसे लेकर बीते कुछ दिनों से जोरों-शोरों से तैयारी चल रही थी। इस साल देश अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। यह दिन भारत के संविधान को अपनाने के लिए जाना जाता है। जिसके चलते भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य के तौर पर स्थापित हुआ था। इस दिन राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ के साथ देश के सभी स्कूल, कॉलेज के अलावा हर जगह ध्वजारोहण किया जाता है। हालांकि, लोग झडा फहराने और ध्वजारोहण को लेकर काफी कन्फ्यूज रहते हैं। ऐसे में सझमते हैं कि दोनों में क्या अंतर है?
बता दें कि, झंडा फहराना और ध्वजारोहण दोनों अलग-अलग होता है। इसका उपयोग और प्रोसेस भी अलग-अलग होता है। हालांकि, दोनों में देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को फहराने और देशभक्ति के प्रति सम्मान दिखाया जाता है। लेकिन इन्हें अलग-अलग अवसर पर किया जाता है।
झंडा फहराना क्या होता है?
झंडा फहराने की प्रक्रिया 15 अगस्त के दिन होती है। इस प्रक्रिया में झंडा एक बंधी हुई स्थिति में होती है, जिसे रस्सी के सहारे फ्लैग पोल के टॉप पर पहुंचाया जाता है। फिर झंडा को ऊपर पहुंचाने के बाद उसे रस्सी की मदद से ही खोल दिया जाता है। जिसके चलते झंडा फहरने लगता है। ये स्वंतत्रता के दौरान मिली आजादी का प्रतीक है। इस दिन देश के प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किला पर झंडा फहराते हैं।
ध्वजारोहण क्या होता है?
26 जनवरी के दिन ध्वजारोहण किया जाता है। इस प्रक्रिया में झंडा पहले से ही फ्लैग पोल के टॉपर पर बंधा रहता है। इसे सीधे अनफ्लर यानी कि खोला जाता है। झंडा पहले से ही बंधा होता है, इसलिए इसे रस्सी को ऊपर की ओर खींचने की जरूरत नहीं होती है। ये भारत के गणराज्य बनने और भारत के संविधान के लागू होने का प्रतीक है। इसलिए इस दिन राष्ट्रपति झंडा ध्वजारोहण करते हैं। क्योंकि, वे देश के संवैधानिक प्रमुख हैं। ये प्रक्रिया नई दिल्ली के कर्तव्य पथ (पहले राजपथ) पर होती है।
जानिए इतिहास
इसके अलावा लोगों के मन में यह भी सवाल होता है कि 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री झंडा क्यों फहराते हैं? ऐसे इसलिए होता है क्योंकि, जब देश को आजादी मिली थी तब प्रधानमंत्री ही देश के मुखिया होते थे। इस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने झंडा फहराया था। वहीं, गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के मौके पर भारत का संविधान लागू हुआ था। उस दिन डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के राष्ट्रपति थे। इसलिए वो देश के संवैधानिक प्रमुख थे। तब उन्होंने ही देश में पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर ध्वजारोहण किया था। ऐसे में तब से ही गणतंत्र दिवस पर देश के राष्ट्रपति ध्वजारोहण करते हैं और प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के दिन लालकिला पर झंडा फहराते हैं। बता दें कि, दोनों ही प्रक्रियाएं हमारे राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति का प्रतीक है।