जिम में डम्बल उठाते ही अचेत होकर गिर पड़े व्यवसायी, हार्ट अटैक से मौत

Jabalpur News: जिम में एक्सरसाइज के दौरान 51 वर्षीय कारोबारी की मौत हो गई। घटना शुक्रवार सुबह पौने सात बजे की है। जबलपुर नेपियर टाउन निवासी व्यवसायी यतीश बॉटलीवाला (सिंघई) रोजाना की तरह सुबह 6:30 बजे कटंगा क्रॉसिंग स्थित जिम गए हुए थे। जिम वर्कआउट शुरू करने के कुछ मिनटों बाद जब उन्होंने डम्बल उठाए तो अचेत होकर बेंच के नजदीक गिर पड़े।

मौके पर उनके ट्रेनर ने उन्हें संभालने का प्रयास किया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच के बाद चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद भी जब परिजनों काे विश्वास नहीं हुआ तो उन्हें एक अन्य निजी अस्पताल भी ले जाया गया, लेकिन तब तक कोई उम्मीद नहीं बची थी। परिवार वालों का कहना है कि यतीश की मृत्यु हार्ट अटैक से हुई है।

मृतक के बड़े भाई योगेश ने बताया कि यतीश बीते 3-4 वर्ष से जिम जा रहे थे। वे अपनी फिटनेस को लेकर हमेशा जागरूक थे। घर के सबसे फिट व्यक्तियों में से एक थे, उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं थी। सीने में दर्द की शिकायत भी उन्होंने कभी नहीं की। इधर परिवार में अचानक आई इस आपदा पर सब हतप्रभ हैं और दु:खी भी। उनकी पत्नी शिल्पा और 21 वर्षीय बेटे आर्यन का रोेे-रोकर बुरा हाल है।

सीसीटीवी फुटेज में कैद हुआ घटनाक्रम |

पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी फुटेज में भी कैद हो गया है। वीडियो में दिख रहा है कि यतीश हाथ में डम्बल लिए जा रहे हैं, तभी कुछ परेशानी महसूस होने पर वे डम्बल को नीचे रख देते हैं। इस दौरान उनकी चाल धीमी हो जाती है। वे थोड़ा आगे बढ़ते हैं और फिर अचानक नीचे गिर पड़ते हैं। यह देखकर ट्रेनर और बाकी लोग उनके पास पहुंचते हैं। उनकी पीठ और सीने पर मालिश करते हैं। कोई हरकत नहीं देख उन्हें निजी अस्पताल ले जाते हैं।

एक्सपर्ट व्यू

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के हृदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ. सोहेल सिद्दीकी के अनुसार 50 से अधिक की उम्र में हार्ट अटैक के चांस हो सकते हैं। वहीं स्ट्रक्चरल हार्ट डिसीज जैसे कि हार्ट की मांस पेशियों का मोटा, कमजोर या शिथिल होना, वॉल्व का सिकुड़ जाना या इलेक्ट्रिक सिस्टम में खराबी भी मृत्यु का कारण हो सकती है।

जिम या अन्य ऐसी जगहाें पर 40 से अधिक उम्र के लोगों के प्रवेश के लिए ईसीजी, ईको जैसी जांचें अनिवार्य होनी चाहिए, ताकि समस्या का पता पहले ही लगाया जा सके। इसके अलावा बीपी-शुगर जैसे रिस्क फैक्टर भी हैं और उन्हें कंट्रोल में रखते हुए चिकित्सक के मार्गदर्शन में दवाएं लेनी चाहिए।