
Panna News: जिले के २०० गांवो के किसानो की आय बढ़ाने और पलायन रोकने के लिए स्वयं सेवी संस्था लोक कल्याण भूमिका समिति द्वारा अनूठी पहल करते हुए किसान को जलवायु अनुकूल खेती से जोडकर कृषि क्षेत्र में नई ऊं चाई प्रदान की जा रही है। संस्था के प्रयासो से किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे है। जलवायु अनुकूल खेती से जोडते हुए संस्था के प्रयासो से ०४ स्टॉप डेम, २० खेत तालाब और एक बडा तालाब का निर्माण किया गया यह कदम जल संरक्षण ने मील का पत्थर साबित हो रहा है। निर्मित जल संरचनाओ में से लगभग १० लाख मीटर पानी का संरक्षण हुआ है जिससे सिचांई का रकबा काफी बढ़ गया है खेती के लिए जल की उपलब्धता से किसानो का लाभ हुआ है। जहां पहले किसान केवल एक फसल अब वे दो फसलें ले रहे है कई किसान खेत तालाब में मछली पालन भी कर रहे है जिनसे उनकी आय में वृद्धि हो रही है।
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400 हेक्टेयर में मेढ़बंध भूमि की उर्वरता में सुधार
400 हेक्टेयर भूमि पर मेढ़बंध के माध्यम से जल संरक्षण सुनिश्चित किया गया है। यह प्रक्रिया न केवल पानी को रोके रखने में मददगार साबित हो रही है बल्कि इससे भूमि की उर्वरता भी बढ़ रही है।
14780 परिवारों को मिला नई तकनीक और पोषण वाटिका का लाभ
संस्था ने 14780 परिवारों को नई कृषि तकनीकों और जलवायु अनुकूलन खेती से जोड़ा है। इसके साथ ही 600 परिवारों को पोषण वाटिका से जोड़ा गया है। इन पोषण वाटिकाओं से ग्रामीण परिवारों को स्वास्थ्यवर्धक सब्जियों की आपूर्ति हो रही है जिससे उनकी सेहत में सुधार के साथ आर्थिक बचत भी हो रही है।
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बायोफॉर्टिफाइड गेहूं और विटामिन युक्त सब्जियों की पहल
संस्था ने 45 हेक्टेयर क्षेत्र में बायोफॉर्टिफाइड गेहूं और विटामिन युक्त सब्जियों की खेती शुरू की है। यह कदम न केवल किसानों की उपज बढ़ाने में मदद कर रहा हैए बल्कि उनके परिवारों के पोषण स्तर को भी बेहतर बना रहे हैं।
पलायन में कमी और स्थायी आजीविका का निर्माण
संस्था की इन कोशिशों से किसानों के जीवन में स्थिरता आई है। जहां पहले पानी की कमी के कारण कई गांवों में पलायन होता थाए अब वह काफी हद तक रुक गया है। किसान अब परंपरागत खेती से आगे बढक़र आधुनिक और टिकाऊ खेती की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
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जल संरक्षण और कृषि सशक्तिकरण की सूत्रधार
संस्था प्रमुख रेखा कुशवाहा ने बताया जल संरक्षण और कृषि के आधुनिक तरीकों से किसानों की आय बढ़ रही है। किसानों को न केवल सिंचाई के लिए पानी मिला है बल्कि मछली पालन और जैविक खेती से उनकी आजीविका में सुधार हुआ है।