चैन माउंटेन समेत ड्राइवर के 18 फीट गहरे गड्ढे में समा जाने का मामला

Satna News: सिटी कोतवाली के अंतर्गत निशांत बिहार कॉलोनी में सीवर लाइन प्रोजेक्ट के काम करते हुए चैन माउंटेन मशीन के ड्राइवर की हादसे में हुई मौत के 48 घंटे बाद भी नगर निगम प्रशासन न तो प्रथम दृष्टया दोषी तय कर पाया है और न ही जिम्मेदारी तय की जा सकी है। संवेदनहीनता की हद तो यह है कि जिम्मेदारी तय करने वाले जिम्मेदार इस हादसे से सबक लेने को भी तैयार नहीं हैं।

एक ड्राइवर की बलि के बाद भी इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश नहीं हो रही कि अधूरी पड़ी सीवर लाइन पर कंक्रीट रोड बिछाने की करतूत आखिर किसकी है? इस मामले में पीडीएमसी से जवाब तलब करना तो दूर, संबधित इंजीनियर की पेशी तक नहीं हुई है। नगर निगम के प्रभारी कमिश्नर भूपेंद्र देव परमार का तर्क है कि उन्हें पुलिस की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। आरोप है कि दोषियों को चिन्हित करने के बजाय आदतन उन्हें बचाने की नगर निगम में फुलप्रूफ तैयारी चल रही है। जानकार कहते हैं, ऐसा पहली बार नहीं है। यह कृत्य भी सतना में ही संभव है।

पीडीएमसी को बचाने केके स्पन पर ठीकरा

नगर निगम सीमा क्षेत्र में तीन जोन में 161.72 करोड़ के चल रहे सीवर प्रोजेक्ट में पीडीएमएसी (प्रोजेक्ट डेवलपमेंट मैनेजमेंट कंसलटेंट ) का कार्य इजिस इंडिया कंसलटेंट के पास है। पीडीएमसी को बचाने के लिए सीवर के अधूरे काम में बनाई गई कंक्रीट की सडक़ का पूरा ठीकर 6 साल पहले काम छोड़ कर जा चुकी केके स्पन के ऊपर फोड़ा जा रहा है।

सवाल यह उठ रहा कि केके स्पन ने जब काम छोड कर गई उस समय भी पीडीएमसी का काम इजिस इंडिया कंसलटेंट प्राइवेट कंपनी के ही पास था और अभी भी यही कंपनी काम कर रही है। अगर केके स्पन ने अधूरा काम छोड़ा था तो निशांत बिहार कॉलोनी में 17 मीटर में कंक्रीट की सडक़ क्यों बनाई? जब कंक्रीट सडक़ का निर्माण किया जा रहा था उस समय पीडीएमसी क्या कर रही थी। आखिर वहां पर कंक्रीट सडक़ बनाने के कार्य को क्यों नहीं रोका।

3 एफई के सहारे सीवर प्रोजेक्ट की 13 साइड

शहर में सीवर प्रोजेक्ट को तेज गति से पूरा करने के लिए तीन जोन में बांटा गया। इन तीनों जोन में ननि के कार्यपालन यंत्री ने 19 फरवरी और 24 मई को पीडीएमसी को पत्र लिख कर निर्धारित गाइडलाइन के मुताबिक काम नहीं करने और सभी कार्य स्थल पर फील्ड इंजीनियर नहीं होने का नोटिस दिया था। मगर ननि के कार्यपालन यंत्री की इस नोटिस को पीडीएमसी के रेसीडेंट इंजीनियर ने गंभीरता से नहीं लिया और मनमानी तरीके से काम करते रहे।

इन्ही सूत्रों के मुताबिक मौजूदा समय में तीन जोन में चल रहे सीवर लाइन प्रोजेक्ट में केवल तीन फील्ड इंजीनियर ही काम कर रहे हैं। जबकि जोन 1 में शामिल एरिया में दो साइड और जोन 2 व 3 में करीब 10 साइड में काम चल रहा है। एक समय में एक ही साइड पर एक फील्ड इंजीनियर होना चाहिए जो नहीं है। पीडीएमसी के केवल तीन फील्ड इंजीनियर से काम चला रहा है।

निशांत बिहार कॉलोनी में हुए हादसे को लेकर पुलिस जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। मगर घटना को लेकर अभी किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई जो अब की जाएगी। सीवर के मामले में कहां पर क्या काम कराया जाना यह पीडीएमसी तय करता है।

भूपेंद्र देव परमान, कमिश्नर प्रभारी (ननि)

केके स्पन ने काम छोड़ा था वहां पर सीवर का चेम्बर बनाया जा रहा था। नई कंक्रीट सडक़ को तोड़ कर काम किया जा रहा वहां पर फिर से ननि ही सडक़ का निर्माण करेगा। मौजूदा समय में तीन फील्ड इंजीनियर काम कर रहे हैं जो पर्याप्त हैं।

पंकज श्रीवास्तव, रेसीडेंट इंजीनियर इजिस इंडिया