
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में इस साल विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के महाविकास अघाड़ी को तगड़ी हार झेलनी पड़ी है। इसके बाद गठबंधन में शामिल नेताओं को अपने राजनीतिक भाविष्य की चिंता सताने लगी है। इस बीच महाविकास अघाड़ी में शामिल प्रमुख शिवसेना (यूबीटी) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। इसके बाद महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में पारा हाई हो गया है। दरअसल, चर्चा हैं कि उद्धव गुट के 6 सांसद पार्टी से जल्द इस्तीफा दे सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना (यूबीटी) के 6 सांसद डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना के संपर्क में हैं। माना जा रहा है कि ‘ऑपरेशन टाइगर’ के तहत उद्धव गुट के 9 में से 6 सांसद शिंदे गुट में आ सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, ससंद सत्र से पहले इस अभियान को पूरा करने के लिए अमल किया जा रहा है।
बता दें, महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में ‘ऑपरेशन टाइगर’ को लेकर कई दिनों से चर्चा चल रही है। लेकिन, दल-बदल विरोधी कानून के चलते 6 सांसदों की संख्या जुटाने की जिद्दोजहद की जा रही है। इसके लिए बीते कुछ दिनों से सांसदों से संपर्क साधा जा रहा था। यदि इस कानून से बचना है तो उद्धव ठाकरे गुट के 9 में से 6 सांसदों को अलग होने से बचना पड़ेगा। इसके अलावा दल-बदल विरोधी कानून के चलते अलग हुए समूह के खिलाफ कार्रवाई हो सकती थी। इस वजह से 6 सांसदों की संख्या मायने रखती थी। इस वजह से सांसदों को पूरी तरह से मनाने में समय लगा है।
हालांकि, एकनाथ शिंदे की शिवसेना 6 सांसदों को मनाने में कामयाब हो गई। इसके बाद पता चला कि पर्दे के पीछे लगातार बैठकें हुई थी। बताया जा रहा है कि शिंदे गुट में शामिल होने के लिए 6 सांसद तैयार हो गए हैं। इसके बाद वह जल्द ही शिंदे गुट में शामिल हो सकती है। इस मामले में भाजपा की ओर से शिंदे को समर्थन दिया जा रहा है। इसके अलावा सूत्रों का कहना है कि कुछ अन्य विधायक भी शिंदे गुटे के संपर्क में हैं। फिलहाल, विधायकों के संबंध में कोई पुख्ता फैसला नहीं किया गया है।
पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद से महाविकास अघाड़ी के नेताओं अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। दरअसल, वह चाहते हैं कि अगले पांच सालों तक एक मजबूत गठबंधन की छांव में रहे। हालांकि, उन्हें पैसे इकट्ठा करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा है। शिंदे गुट में शामिल होने से नेताओं को राज्य के अलावा केंद्र का लाभ भी मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार में शिंदे गुट शामिल है। इससे पार्टी और सिंबल का मुद्दा भी समाप्त हो गया है। दरअसल, इसका प्रमुख कारण है शिवसेना ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और लोगों ने उन्हें स्वीकार किया। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में उन्हें मान्यता मिली है। बता दें, महायुति में भाजपा के बाद शिवसेना ने कई सीटों पर जीत दर्ज की है। ऐसे में पार्टी और सिंबल का मुद्दा बचा ही नहीं. केंद्र में भाजपा का समर्थन मिलने से विकास कार्यों में तेजी आएगी. साथ ही धन मिलने में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी।